ज्योति बनी ज्वाला – विभा गुप्ता
” बस सर, अब बहुत हो चुका…., आप अभी के अभी मेरे घर से निकलिये।” चीखते हुए ज्योति ने एक हाथ से अपने कंधे पर रखा अविनाश सर के हाथ को झटक दिया और दूसरे हाथ से उनका काॅलर पकड़कर उन्हें बाहर की तरफ़ धक्का दे दिया। ज्योति जब नौवीं कक्षा में थी तब वह … Read more