सखियाँ
आज भी बिलकुल नहीं बदलीनब्बे के दशक ,वाली मेरी सखियाँआज भी यादें सहेजे नजर आयीजैसे पलकों तले ,सहेजी गयी अखियाँआज भी सखियों को मैंने मासूम पायाजैसे स्कूल काॅलेज का, बीता वक्त लौट आयाआज भी वो स्वभाव से शरारते करती नजर आयीजैसे फिर जी रही हैं बचपन,और अल्हड़ तरुणाईआज के दौर में सखियाँ समय के साथ … Read more