इंकलाब – अरुण कुमार अविनाश
इंकलाब जिंदाबाद। जिंदाबाद — जिंदाबाद। आवाज़ दो – हम एक है। शाम के पाँच बज रहें थे – विशाल मैदान में विशाल भीड़ को नेता जी सम्बोधित कर रहें थे – नारें लगवा रहें थे। ” प्यारे दोस्तों, जिस तरह कम्पनी की नीतियां है – अधिकारियों का कर्मचारियों के प्रति रवईया है – काम बढ़ता … Read more