आखिर मुखौटा उतर ही गया – शुभ्रा बैनर्जी

New Project 34

नंदिनी काफी दिनों से विवेक को तलाश रही थी।बहुत मुश्किल से जब पता मिला तो नंदिनी मिलने के लिए पहुंची आफिस।आलीशान बिल्डिंग थी ।नंदिनी आफिस से उनकी व्यक्तिगत जिंदगी की खुशहाली देख सकती थी।दूर से देखकर नंदिनी ने विवेक को पहचान लिया था।बस अब उससे मिलने की जरूरत नहीं। विवेक को देखते ही नंदिनी अपने … Read more

वृद्धाश्रम – सीमा पण्ड्या

New Project 45

चलो आज माँ को वृद्धाश्रम दिखा ही लाता हूँ। बड़े बेटे ने अपनी पत्नी से कहा तो ७५ वर्षीय सावित्रीदेवी भौंचक हो कर बेटे का चेहरा देखने लगीं। बेटे के चेहरे पर गंभीरता थी बोला “ माँ एक नयावृद्धाश्रम बना है, जल्दी से तैयार हो जाओ, आज आपको वहाँ की सब सुख- सुविधाएँ दिखा लाता … Read more

सुगनी काकी  – पुष्पा जोशी

New Project 98

यशोधरा ने रोते हुए घर में प्रवेश किया, रोते-रोते उसका बुरा हाल था, मॉं ने कहा- ‘क्या बात है क्या आज फिर सुगनी काकी ने तुझसे कुछ कहा?’ वह कुछ नहीं बोली सीधे अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गई उसका रोना रूक ही नहीं रहा था.’अब तो हद ही हो गई, पीछे ही … Read more

माँ जी सहारे की ज़रूरत आपको होगी ,,मुझे नहीं – मीनाक्षी सिंह

New Project 86

ख़ुशी – माँ जी कितनी बार कहाँ हैँ आपसे मेरे पीछे मत पड़िये ! मैं कोई दो साल की बच्ची तो नहीं जो आपकी मर्जी से चले ! मुझे पता है मुझे प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए क्या  नहीं ! डॉक्टर ने मुझे डाईट चार्ट दिया हैँ ! मैं उसे फौलो कर रही हूँ ! … Read more

ये कैसा प्यार – संगीता अग्रवाल

New Project 89

” कितनी खूबसूरत है वो लगता है भगवान ने बड़ी फुर्सत से बनाया है उसे !” राजीव एक तरफ देखते हुए अपने दोस्त नितीश से बोला। ” कौन है वो जिसने हमारे दोस्त के दिल पर कब्जा कर लिया है ?” नितीश मुस्कुराता हुआ बोला। ” यार वो सामने जो खिड़की खुली दिखाई दे रही … Read more

विरोध बना पुष्पहार – लतिका श्रीवास्तव

New Project 39

….मीटिंग बहुत लंबी और उबाऊ होती जा रही थी…इतने शानदार होटल में सारी व्यवस्था की गई है ….अधिकांश तो पल पल में परोसे जा रहे शीतल और गरम पेय पदार्थों का आनंद उठाने में तल्लीन थे ….सुस्वादु भोजन का काल्पनिक स्वाद रह रह कर सभी को मीटिंग के शीघ्र खत्म होने का शिद्दत से एहसास … Read more

हमारी “बेटियां” क्या “बेटों” से कम होती हैं..?” –  पूनम गुप्ता

New Project 38

सविता जी बेटा पाने की चाह में पांच बेटियों की मां बन जाती हैं..फिर भी बेटा एक भी नहीं होता” इस बात से हमेशा उदास और परेशान सी रहने लगती! यहां तक की उनके आस -पड़ोस के लोग उनके परिवार वाले भी उन्हें ताना देने शुरू कर देते हैं !! बेचारी सविता और उसके पति … Read more

विरोध से उन्मुक्त तक – अभिलाषा कक्कड़

New Project 37

विरोध और समर्थन के बीच जब द्वन्द्व होता है ,तो अक्सर विषय प्रश्नों के घेरे में आ जाता है । जो परिणाम निकल कर आते हैं वो सदा याद रहते हैं क्योंकि अथक प्रयासों से निकल कर आते हैं । जीवन में ऐसे अनुभव आने वाले समय में कुछ मन की उलझनों को सुलझाने में … Read more

आलू टमाटर की सब्ज़ी – कल्पना मिश्रा

आज बाबूजी की तेरहवीं है। नाते-रिश्तेदार इकट्ठे हो रहे हैं पर उनकी बातचीत, हँसी मज़ाक देख-सुनकर उसका मन उद्दिग्न हो रहा है..”कोई किसी के दुख में भी कैसे हँसी मज़ाक कर सकता है? पर किससे कहे,किसे मना करे” इसीलिये वह बाबूजी की तस्वीर के सामने जाकर आँख बंद करके चुपचाप बैठ गई। अभी बीस दिन … Read more

जब विरोध करना सिखाया ही नहीं गया तो विरोध कैसे करूं,,,,, बेटी  – मंजू तिवारी

New Project 35

मैं आप के गर्भ में आई  आपको पुत्र मोह था आपने मुझे मरवा दिया तब तो मैं विरोध कर भी नहीं सकती थी मैं एक बेटी हूं बचपन से ही मुझे  पालने के लिए सदैव समाज के परिवार के दोहरे मापदंड रहे,,,,, जब पैदा हुई तो मुझे बोझ समझा गया कभी भी शरीर को मजबूत … Read more

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