अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 15) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi
“ये क्या कर रही हैं माॅं? अभी तो और रोटियाॅं भी तो बनानी हैं।” गूंथे आटे के बर्तन को उठाकर फ्रिज में रखती अंजना से विनया पूछती है। “क्यों, अब कौन खाएगा।” विनया के बगल से निकलती हुई अंजना कहती है। “मैं और आप।” विनया अंजना के हाथ से बर्तन लेती हुई कहती है। “सबको … Read more