लम्हों के आरपार – डॉ उषा शुक्ला : Moral Stories in Hindi
स्वाति सदन की दूसरी मंजिल के पिछवाड़े वाले कमरे में पड़ा हुआ हूं,कमरा क्या एक छोटी सी कोठरी जिसमें स्वाति कभी छत से उतार कर अचार के मर्तबान, बड़ियां बनाने का बांस का बड़ा सा प्लेटनुमा टोकरा, चटाइयां और बड़ी दरी सहेजकर रख दिया करती थी। बड़े अरमान से बनाया था हमने ये … Read more