चोट – बिना शर्मा : Moral Stories in Hindi

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“जब देखो मुझसे बाहर चलने के लिए कहते रहते हो मैंने कहा ना बेटे की शादी से तो मैं फारिग हो गई बस बेटी की शादी और हो जाए उसके बाद मैं आपके साथ फुर्सत से घूमने जाऊंगी” कौशल्या ने अपने पति किशोर से कहा तो किशोर मुस्कुराते हुए बोले “भाग्यवान मुझे तुम्हारी यही बात … Read more

मानू चला गया – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

New Project 65 1

मानू जब घर में आया तो घर में मानो बहार आ गई, हो भी क्यों नहीं? वासंती जी और रवींद्र जी के बड़े बेटे अमित की पहली संतान जो था। कविता भी अपने बेटे को सास-ससुर और देवर सुनील के द्वारा मानू को हाथों-हाथ रखने से बहुत खुश थी। मानू को पलकों में सहेज कर … Read more

“पश्चाताप” – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

New Project 66

अंश तुम मेरा कल ट्रेन का टिकट करवा दो सुना तुमने,   मैं शाजापुर अपने घर जाना चाह रही हूं यह कहकर राधिका जल्दी-जल्दी अपना सामान पैक करने लगी अंश बोला मां आप अकेली क्या करोगी , नहीं बेटा मैं अब अपना अपमान नहीं सह सकती तुम्हारी बहू सुष्मिता मुझे बात-बात पर ताने मारती है … Read more

पछतावे के आंसू – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

New Project 67 1

प्रणव जी रिटायर्ड प्रिंसिपल एवं कावेरी जी भूगोल की प्रोफेसर थी। अपने इकलौते पुत्र रुद्र की नौकरी लगने के बाद रुद्र के विवाह के सपने सजाने लगी। उन्हें एक बेटी की बहुत चाहत थी लेकिन वह मंशा पूरी न हो सकी।  सोचा बेटे के विवाह के उपरान्त बेटी की इच्छा भी पूरी हो जाएगी। बहू … Read more

चार दिन की चाँदनी – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

New Project 68

बाबूल की दूआए लेती जा जा तुझको सुखी संसार मिले भावविभोर करती …सामने के घर में जहां कल कितनी रौनक थी आज बेटी की विदाई की तैयारी शहनाई वादन की मधुर धुन मन को विचलित कर रही थी। अपनी बाल्कनी में खड़ी मयूरी शादी की रौनक भीड़ भाड़ देख रही आज उसका मन पहले से … Read more

पछतावे के आंसू – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 69

“क्या मैंने बहुत देर कर दी?” ये विचार बार-बार अंकित के मन में कौंध रहा है और उसे अधीर कर रहा है। इसी विचार के साथ ही कैंपेगौडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बेंगलुरु की ओर दौड़ती टैक्सी में बैठा वह बेंगलुरु से नई दिल्ली की फ्लाइट के लिए इमरजेंसी टिकट बुक करता है। राजस्थान के भिवाड़ी का … Read more

*निकृष्टता* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 2

     वोव-अंकल,आप इस उम्र में भी बड़े हैंडसम लगते हैं।ये नीला सूट अंकल आप पर खूब फब रहा है।       थैंक्यू, बेटा, बैठो प्राची बस आने ही वाली होगी।चाय साय तो चलेगी।       चलेगी-अरे अंकल दौड़ेगी।कहकर सोनम जोर से हंस पड़ी          मुकेश जी ने एक धौल सोनम की पीठ पर जमा कर कहा-हां हाँ बैठ तो।          मुकेश जी … Read more

सास से प्यार भरा रिश्ता – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

New Project 11

अरे माला तू यहां कैसे माल में घूमते हुए जैसे ही रूपा की नजर माला पर पड़ी वह चहक कर बोली और दोनों गले लग गईं ।माला बोली अभी अभी छः माह पहले ही मेरे पति का स्थानांतरण यहां हुआ है। चल आज मैं जल्दी में हूं फोन नंबर दे और मैं अपना भेजतीं हूं।कल … Read more

नीयति का खेल – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 70

    अबोध तीन वर्षीय अनिकेत समझ ही नही पा रहा था,कि उसके साथ ये क्यों हो रहा है?पापा बोले थे कि अन्नू देख ये तेरी नयी मम्मी।मम्मी शब्द सुन अन्नू चौंका, उसे लगा मम्मी आ गयी,पर ये तो कोई और है,इसीलिये उसमें कोई उत्साह नही हुआ।पापा ने अन्नू को फिर समझाया, बेटा पहले वाली मम्मी तो … Read more

नीयत खोटी तो इज़्जत कैसी! – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 72

   ” खाना रखा है…ठूँस लो…।” टेबल पर थाली पटकती हुई शारदा बोली तो उसके जेठ धीरे-से बोले,” शारदा..मैं तुम्हारे पति का बड़ा भाई हूँ..इतना तो लिहाज़ करो…।”    ” जानती हूँ लेकिन लिहाज़ करने वाला कर्म किये होते तो ज़रूर आपको सिर पर बिठाती मगर आप तो…।” आँखें तरेरती हुई शारदा ने बिस्तर पर पड़े बासठ … Read more

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