सेतु निर्माण-रेखा पंचोली

पिताजी के देहावसान को पूरा एक वर्ष बीतने वाला था |उनकी बरसी की मेरी तैयारी पिछले कई दिनों से चल रही थी | मैं उनकी पुण्य तिथि पर अपने पहले काव्य संग्रह का विमोचन करवाना चाहता था | ये कहानी संग्रह मैंने उन्हीं को समर्पित किया था | पुस्तक प्रकाशित हो कर आ चुकी थी  … Read more

स्वरा….!!- विनोद सिन्हा “सुदामा”

कहते हैं पीड़ा और वेदना का कोई रूप नहीं होता,कभी अथाह कष्ट असहनीय वेदना के कारण बन जाते हैं तो कभी अति स्नेहलता आपको असीम पीड़ा से रूबरू करा देती है..पर दोनों ही रूप में कहीं न कहीं वक़्त और आपकी परिस्थितियाँ ही दोषी होती हैं.। मेरा अभिन्न मित्र शुभय भी इन दिनों कुछ इन्हीं … Read more

दरियादिल – नीलम सौरभ

कार्यालय में अपनी सीट पर बैठी हुई मोहिनी गहरी सोच में डूबी दिख रही थी। बेटी ऋत्विका की आज सुबह नाश्ते के टेबल पर हल्के-फुल्के अंदाज़ में कही गयी बात उसके दिमाग़ में बड़ी देर से गूँज रही थी। “ममा! कल हमारी क्लास के कॉमेडी स्टार मधुप ने फिर से ख़ूब हँसाया था सबको….!” सैंडविच … Read more

एक माँ का गणित- नीरजा कृष्णा

“अरे मम्मी जी! आप अभी तक तैयार नहीं हुईं। गाड़ी आ गई है।” बहू ममता हैरानी से पूछ रही थी। एक पारिवारिक विवाह समारोह में उन सबको हाजीपुर जाना था। बेटे मनोज को पटना में कुछ काम था अतः वो शाम को आने वाला था। वो धीरे से बोलीं,”अभी तुम दोनों बच्चों को लेकर चली … Read more

*जीवन के खेल* – मुकुन्द लाल

अपने गांव के बाहर से गुजरने वाली रेलवे लाइन से हटकर कुछ दूरी पर स्थित चबूतरे पर बैठा सुदीप ट्रेन का इंतजार कर रहा था। अवसाद और क्षोभ की लकीरें उसके चेहरे पर साफ दिखलाई पड़ रही थी।  प्रचंड धूप की तपिश के कारण चतुर्दिक सन्नाटा छाया हुआ था। दो बजने वाले थे किन्तु एक … Read more

बिफर पड़ी-कंचन श्रीवास्तव 

एक ही घर में रहते हुए गलियारे से निकलकर बोली अरे रज्जो कौन आने वाला है ? जो इतनी तैयारी कर रही , सुबह से देख रही हूं काम पे काम किए जा रही ।इस पर वो मुस्कुरा कर रह गई, पर इनसे रहा नहीं गया तो घंटे भर बाद फिर आकर पूछी  बताती क्यों … Read more

आँसू और मुस्कान – ज्योति अप्रतिम

टेबल पर पड़ा हुआ टिफिन मुँह चिड़ा रहा था।पाँच मिनट देर हुई और उसे वहीं छोड़ कर सुदेश ऑफिस निकल गए।ऊपर से चार बातें और सुना दीं। साढ़े पांच बजे से रोबोट की तरह काम करने के बावजूद ऐसी स्थिति !सोचते हुए रोना ही आ गया।एक बार आँसू निकल पड़े तो बन्द होने का नाम … Read more

सज़ा – अनु’ इंदु

एक ही शहर में रहते हुये भी तनु दीदी मुझसे कभी नहीं मिली थीं । जबकि तनु दी मेरी सगी बुआ की लड़की थी । फिर ऐसा कुछ हुआ कि तनु दी को मैंने दिल्ली में किसी रिश्तेदार की मृत्यु पर देखा । देख कर यकीन नहीं हुआ कि क्या यह वही है । कितनी … Read more

“सफेद झूठ” बहु नहीं बेटी है,-सुधा जैन

मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी अनाया अपने मम्मी पापा दादा दादी सभी  की लाडली बिटिया है… उसमें अपना ग्रेजुएशन पूर्ण कर लिया ..और भी आगे पढ़ना चाहती थी.. कुछ करना चाहती थी पर उसके मम्मी पापा ने सामाजिक दबाव… पारिवारिक… कुछ भी कहो… हमारे परिवारों में विवाह योग्य लड़की सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है? सभी … Read more

खुशी की चाह – गरिमा जैन

जब भी राधिका की बात अपनी सहेली मालती से होती तो उसका दिल मचल मचल उठता। मालती कितनी खुश थी। ना जाने किन चक्र में पड़कर राधिका ने शहर में शादी कर ली। बचपन से तो उसका सपना यही था कि वह गांव में रहे। क्यों उसने इतनी बड़ी गलती की?  उसकी सहेली मालती कितनी … Read more

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