मन के भाव –  माता प्रसाद दुबे

विधा- संस्मरण – पांच वर्ष पहले की बात है। मैं अपने कार्य से हफ़्ते में दो बार लखनऊ से कानपुर तक सफर करता था। सुबह जाकर शाम को वापस लोकल ट्रेन से आता था।   एक दिन ट्रेन लेट थी। मैं लखनऊ के मानक नगर स्टेशन पर बेंच पर बैठा ट्रेन का इंतजार कर रहा … Read more

मायका -पिंकी नारंग

कब आ रही है हमारी बिटिया रानी? इस बार आओ तो कुछ ज्यादा दिन के लिए आना |यूँ पल मे आना पल मे जाना नही भाता हमें, सुषमा फ़ोन पर बेटी से दुलार करते हुए कह रही थी |      ठीक है माँ ज्यादा दिन की छुट्टी ले कर आउंगी वैसे कभी माँ का मन … Read more

बचपन की चोरी – अंजु पी केशव

 अब बचपन की चोरी को चोरी कहना भी कहाँ तक उचित है भई…. शरारत कहिए,, मुसीबत कहिए, गनीमत कहिए पर चोरी तो मत कहिए। अब कौन सा संविधान की मर्यादा भंग कर दी जो पेड़ से दो-एक अमरूद तोड़ लिए या पेड़ से गिरी हुई अमिया बटोर ली। रहे रास्त कभी किसी के बगीचे के … Read more

टॉनिक- पिंकी नारंग

सोनिया का ससुराल मे दूसरा दिन था, सब कुछ अच्छा होने पर भी उसे माँ बहुत याद आ रही थी |उस पर सोने पर सुहागा, ये हुआ की उसका मोबाइल मायके मे ही छूट गया, अब हाथ मे तो रख नहीं सकती थी, विदाई के टाइम रोते हुए हाथ मे सेलफोन, छी कितनी बेकार पिक … Read more

रिश्ता-खट्टा-मीठा सा – कमलेश राणा

चलिये तो आज आपको हम अपनी गृह सहायिका जी से मिलवाते हैं। तो ये हैं हमारी सीमा रानी,,,,अब मन तो कर रहा है,कहें,,टन,,,टना,,,ना,,,पर थोड़ी सी शरम भी आ रही है,कहीं आप ये न सोचने लगें कि परिचय कराते हुए खुशी टपकी ही जा रहा है। इन से हमारा रिश्ता कुछ खट्टा कुछ मीठा सा है।अब … Read more

स्वयं सिद्धा – प्रीती सक्सेना

आज भी समर घर नहीं आए,, रात भर आंखे, दरवाजे पर ही लगी रहीं, देख रही हूं,, कुछ दिनों से न बात करते हैं, न ही मेरी तरफ़ देखते ही हैं, जबसे डॉक्टर ने स्पष्ट कर दिया,, मैं मां नहीं बन सकती,, समर बिल्कुल बेजार से हो गए मुझसे,, एक दिन तो साफ कह दिया,, … Read more

निरइच्छा – अनुज सारस्वत

New Project 6

“साक्षी चार दिन बाद प्रोजेक्ट रिफाइन सबमिट करने का दिन है। अरे यार थोड़ा काम रह गया। बस आज मैं कर लूंगी और बता अच्छा सुन ये प्रोजेक्ट का काम निबटे तो मनाली चलेंगे घूमने।बहुत सर दर्द हो गया और अब थोड़ा रिलेक्स चाहिए मुझे” अनुपमा ने साक्षी को फोन पर कहा और थोड़ी देर … Read more

मेरी नन्हीं गंगा का अवतरण – सुषमा यादव

New Project 11

,,, आज़ मेरी प्यारी आर्या का जन्म दिन आया,, ,,,साथ में अपार खुशियां लाया,, मेरे घर आई एक नन्ही परी,,,, आज़, फिर वही पर्व आया है,।  ,,, गायत्री जयंती और गंगा दशहरा,,, ,,,एक आश्चर्यजनक और सत्य घटना आप सबको भी बताना चाहती हूं,,,,, आज़ के दिन ही हमारी प्यारी नातिन का जन्म हुआ था,,आपके आशीर्वाद … Read more

मैं तुम्हारी बुआ तो हूँ ही आज से माँ भी हूँ- अनुपमा

New Project 95

सभी लोग बहुत खुश है ,चारों तरफ हसी खुशी का माहौल है ,खाने की खुशबू फिज़ा मैं फैली है ,चारों तरफ जोर शोर से तैयारियां चल रही है , हर कोई व्यस्त है । निधि बेसब्री से इंतजार कर रही है आज कानपुर से उसके मायके से पूरा परिवार आ रहा है । उसके दोनो … Read more

मायका अब भी है  – गीता वाधवानी

New Project 96

 पिछले साल जब ज्योति की मां का देहांत हुआ था, तब उसे लगने लगा था कि अब मेरा मायका नहीं है। मां के बिना कैसा मायका? उसकी बड़ी भाभी पदमा उसके मायके आने पर सीधे मुंह बात तक नहीं करती थी, तो फिर छुट्टियों में उनके साथ कैसा रहना और समय बिताना। छोटे भाई मनोज … Read more

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