सामान्य समझ – तरन्नुम तन्हा
नई नई शादी होकर घर में आई थी मैं। ‘एम ए बी एड है बहू मेरी’, मेरे ससुर साहब तो सबसे मेरी तारीफ़ करते, लेकिन घर में मेरी सासुमाँ हर समय बुराई ही करतीं, ‘इसे ये नहीं आता, इसे वो नहीं आता’। ससुर जी चुप रह जाते, और मैं खुद को समझाती, ‘अगली बार और … Read more