पिया बसंती – रश्मि स्थापक

कादम्बिनी ने अपनी ड्राइंग रूम की खिड़की से बाहर देखा …पीले फूलों की बहार आई हुई थी,उसने कैलेंडर पर निगाह डाली बस दो दिन बचे है बसंत पंचमी को…तभी हवा का वासंती झोंका उसे जैसे बाहर गॉर्डन तक ले आया…सिहराने वाली ये वही तो हवा है जो उसके बीसवें वसंत को मदहोश किए जाती थी…तभी … Read more

भेदभाव -ऋतु अग्रवाल

New Project 48

 बारहवीं की परीक्षा के बाद पूर्वी अपनी नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने चली गई। दो मामा,मामियाँ, उनके बच्चे और नानी भरा पूरा परिवार था। पूर्वी का परिवार शहर में रहता था जबकि नानी का परिवार एक छोटे से कस्बे में था।      शहर में पूर्वी एक  मस्तमौला जीवन बिताती थी पर नानी के यहाँ माहौल थोड़ा … Read more

छोटी बहन – भगवती सक्सेना गौड़

मैं घर की सबसे छोटी प्यारी सी बेटी रही, आज भी मायके के नाम पर, शब्द उच्चारण करते ही, एक सकारात्मक दुनिया का आभास होता है। समय धीरे धीरे सरकता रहा, सब बहनों की शादी हो गयी, घर मे रह गए, मैं और मेरा छोटा भाई, और मेरी ममतामयी मम्मी। भाई से मेरा रिश्ता, दोस्त … Read more

सफ़र पीहर का  – पूनम वर्मा

New Project 47

सुबह आँख खुली तो सामने तांबे-सा लाल  सूरज अपनी आँखें खोल रहा था । यही वक्त था जब उसकी आँख से आँख मिलाई जा सकती थी । हमारी नज़रें मिलीं भी । कुछ जाना-पहचाना-सा लगा सूरज । आज सूर्योदय देखकर मुझे अपना बचपन याद आने लगा । इतने करीब से सूरज को तभी देखा था … Read more

दुल्हा बिकता है -मीनू जायसवाल

New Project 46

आज जो मैं लिखने जा रही हूं, वो एक सामाजिक कुरीति हैं                         “दुल्हा बिकता है” जी हां जनाब दुल्हा बिकता है अच्छा खरीदार होना चाहिए…. अब आप सब सोच रहे होंगे कि आज मुझे क्या हो गया है मैं ऐसा क्यों कह रही हूं, तो सुनिए जनाब कभी-कभी अपने ही आसपास देखने को मिल जाता … Read more

कोहिनूर – सुनीता मिश्रा

New Project 45

मेरे कॉल बेल बजाते ही दरवाजा खुला,दोस्त ने ही दरवाजा खोला,देखते ही बोला”आओ ,अंदर आओ।बड़े दिनो बाद आना हुआ।कुछ काम होगा।बिना काम के तो तुम आते ही नहीं “ अंदर आ,सोफे पर बैठ ,मैने बहुत संकोच के साथ कहा”याद है,करीब छह,सात,महिने पहिले तुम और भाभी जी मेरे घर आये थे।भाभी जी , शरत चंद का … Read more

फकीर – विनोद सिन्हा “सुदामा”

New Project 44

ऐसा कोई दिन नहीं होता था कि उस मस्जिद वाली गली से नहीं गुजरती थी मैं… मेरे ऑफिस का रास्ता उसी गली से होकर गुजरता था और थोड़ा नजदीक भी पड़ता था इसलिए ऑफिस जाने के लिए अमूमन उसी रास्ते का उपयोग करती थी .. मेरा रोज़ का आना जाना था इसलिए..गली के बहुत से … Read more

Crush – अनु ‘ इंदु ‘

New Project 46

बात उन दिनों की है जब मैं अमृतसर से M.A.B.Ed करने के बाद अपने घर आई थी । मैंने आकर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया । मेरे पास 9th और 10th के बच्चे पढ़ते थे । 10th क्लास का एक स्टूडेंट विवेक था। सब उसे विक्की कहते थे । वो मेरे छोटे … Read more

women lib. – अनु ‘ इंदु ‘

New Project 43

उस दिन कॉलेज में पेपर रीडिंग कॉन्टेस्ट था । सुहासिनी का बी. ए. का दूसरा साल था । सुहासिनी को women lib.  पर बोलना था । बहुत सी लड़कियों ने इस के हक़ में अपने विचार रखे थे ।उसने भी पूरी तैयारी की थी। सुहासिनी की बारी आई तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा … Read more

रम गई – कंचन श्रीवास्तव

New Project 42

आश्चर्य हो रहा रेणुका को देखे अम्मा को , मजबूर हैं सोचने पर क्या ये वही रेणुका है जो वर्षों पहले चीखती चिल्लाती तड़पती थी। आंसू तो जैसे कोर पर रखे हो कोई जरा सा बोल भर दे तो भरभरा पड़ते थे। उन्हें अच्छे से याद है जब पहले पहल उसके दिल को चोट लगी … Read more

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