दोस्ती – सुनीता मिश्रा

New Project 2

हम तीन, यानी मैं, प्रमिल और सुमित। कहते है तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा। पर यहाँ उल्टा था हम तीन तिगाड़ा काम सुधारा थे। प्रमिल सबसे होशियार, पढाई में अव्वल, अच्छा एथलीट, अच्छा वक्ता , गायक, बोले तो परफेक्ट परसन। सुमित एवरेज, और मैं सबमें फिसड्डी। पर दोस्ती में कोई अंतर नहीं। 5th क्लास से एक … Read more

पेंटिंग – शालिनी दीक्षित

New Project 69

“हाय माम्………” “अरे बेटा……..तुम जल्दी आ गईं?” तरु की आवाज सुनकर प्रिया चौंकते हुए बोली। “आज तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी इसलिए हाफ डे लेकर आ गई; लेकिन आप धूप में पुरानी फोटोज के साथ क्या कर रही है?” प्रिया के पास बैठते हुए तरु ने पूछा। “तबीयत ठीक नहीं क्या हुआ…….पहले यह … Read more

अधूरा स्वप्न  -किरन केशरे

New Project 68

‘एक प्याली चाय’ मन को  कितनी संतुष्टि प्रदान करती है ! जब हम थककर चूर हो ,सर्दियों भरे दिन हो ,बारिश का हरियाली मौसम हो और साथ मे कोई मनपसंद स्नैक्स । “बस ऐसा लगता है  ,जैसे इससे बड़ा सुख कोई नही” । लेकिन मानू को ये सब कहाँ नसीब ,सुबह से शाम कब हो … Read more

कसक – कमलेश राणा

New Project 67 1

पिछ्ले वर्ष जनवरी में मेरे छोटे बेटे की सगाई हुई।सभी लोग बहुत खुश थे।खासतौर से बड़ा बेटा बहुत उत्साहित था। बोला,” पापा, इस बार सारा इन्तज़ाम मैं करूंगा।” अब booking का सिलसिला शुरू हुआ।शहर का सबसे अच्छा resort बुक किया गया,बैंड फोटोग्राफर,हलवाई सब अच्छे से अच्छे,,,,, जोरदार शॉपिंग हुई।बड़ी बहू और बेटी ने सुन्दर सुन्दर … Read more

निशीगंधा – अनु मित्तल “इंदु”

New Project 55

बात उन दिनों की है जब मैं M.A.Eng करने के लिये अमृतसर आई थी । उन दिनों मैं बेरी गेट में D.A.V.college of Education के होस्टल में रहती थी M.A.का मेरा सेकेंड year था । मैं अपने रूम में एक रात अपने exam की तैयारी कर रही थी । रात के 12बजे का टाईम था … Read more

पश्चाताप – कंचन शुक्ला

New Project 60

आर्यन अपनी माँ से मिलने नौ साल बाद लौटा है। इतने दिनों कहाँ था, ना किसी ने पूछा, ना किसी को उसने बताया। मन की पीड़ा अत्यधिक थी। चाहते हुए भी किसी से कुछ साझा नही करता।  प्राची और प्रथम, बच्चे आर्यन, निमिषा और अमीषा का सुखी समृद्ध परिवार था। बड़ा बेटा आर्यन और उससे … Read more

अपनापन   -किरन केशरे

New Project 48

शाम पांच बजे ‌ऑफिस का कार्य पुरा कर सलोनी घर जाने की तैयारी कर ही रही थी की , अचानक ही बॉस ने अतिरिक्त कार्य सौंप दिया, उन फाइलों को निपटाते रात के साढ़े सात बजने को आ गए थे, वह सोच रही थी, नमन भी ऑफिस से छह बजे तक आ जाते हैं ,सास … Read more

सेविंग – मीनाक्षी चौहान

दोनों बच्चे और उनकी माँ के मुँह बने हुए हैं मना जो कर दिया मैनें इस बार मॉल से शॉपिंग करने के लिये। दो महीने हो गए मॉल से घर का सामान लाते हुए। अच्छा भला अब तक बड़े बाज़ार के लाला की दुकान से सामान आया करता था लेकिन उस दिन मैडम ने अखबार … Read more

हम सफर-सीमा बी.

नैना को रोज मेट्रो से आना जाना होता है उसने अपनी छड़ी और कदमों की गिनती से रास्ते को पहचानना सीख लिया है ।अपने नाम के जैसे उसकी आँखें बहुत ही सुन्दर और बड़ी बड़ी हैं पर उन आँखों मे रोशनी नही है। अनुराग और नैना की मुलाकात रोज मेट्रो में ही होती हैं । … Read more

मृगतृष्णा – सीमा बी. #लघुकथा

आज भी मुझे याद है,जब मेरे लिए अविनाश का रिश्ता आया था।अपनी अपनी माता पिता की एकलौती संतान हैं। पेशे से डॉक्टर होने के बावजूद  वो एक पढी- लिखी घरेलू लड़की से शादी करने को इच्छुक थे। इतना अच्छा रिश्ता सामने से आया तो ना करने की कोई वजह नहीं थी। छह महीने के छोटे … Read more

error: Content is Copyright protected !!