डैडी  – सीमा बी.

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#पितृ दिवस विशेष हम भाई बहन जहाँ पैदा हुए थे वे एक छोटा सा गाँव था। किसान परिवार था। आज से तकरीबन 50 साल पहले गाँव में पापा को बाऊजी, पापा या बाबूजी के संबोधन से ही बुलाया जाता था पर हम पापा को डैडी कहते थे। हमारा ननिहाल दिल्ली में था तो ये शब्द … Read more

मेहमान – अनु मित्तल “इंदु”

दीवाली से कुछ दिन पहले ही हमारे सब दोस्तों के यहाँ ताश के सेशन शुरू हो जाते थे। दिवाली के अगले दिन अन्नकूट पर मैं सब को इनवाइट  कर लेती थी।सारा खाना 56 भोग बड़े शौक़ से  तैयार करती थी।हमारा छःसात फ्रेंड्स का ग्रुप था। सभी अपने परिवार सहित आते थे। कुल मिला कर 30-35 … Read more

 ” श्रेया फिर चीख पडी ” – उमा वर्मा

New Project 77

#चित्रकथा श्रेया अब बडी  हो गई है ।वह शादी शुदा है और एक अच्छी और सुखी जीवन बिता रही है ।लेकिन बीता हुआ कल आज भी उसका पीछा नहीं छोड़ता ।कुछ साल पहले की ही तो बात है जब—– ” क्या हुआ बेटा ” क्यो चीख रही थी तुम ” कोई बुरा सपना देखा क्या? … Read more

वादा – प्रीति आनंद

New Project 56

“आँटी जी, आप हमें कबसे पढ़ाना शुरू करेंगी?” नन्ही-सी लक्ष्मी का सवाल सुन सुमन चौंक गई। अतीत के अंधकार में जी रही सुमन को मानो उस छोटी बच्ची ने वर्तमान में घसीट लिया हो! कोठियों पर काम करने वाली महिलाओं के बच्चों को वह काफ़ी सालों से घर पर पढ़ा रही थी परंतु पति के … Read more

अनमोल तोफा – पुष्पा पाण्डेय

New Project 57

मुस्कान और खुशी दोनों बहनें अपने पापा की धड़कने थीं। माँ की मौत के बाद पापा ने ही तो माँ-बाप दोनों बनकर अपनी बच्चियों की परवरिश की। मुस्कान शायद अपनी माँ को याद करती हो, पर खुशी के लिए तो माँ भी और पापा भी दोनों एक ही थे। तब खुशी छे साल की रही … Read more

अनुत्तरित प्रश्न…!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

New Project 78

सच कहूँ तो पितृ दिवस क्या होता है..कभी जाना और महसूस ही नहीं किया मैने….. एक अरसा हुआ आपको मुझे और हम सभी को यूँ अकेला छोड़ कर गए हुए..तब से लेकर आज तक जाने कितने पल आएं और कितने गएं,ना जाने कितने ही रंग शामिल हुए जीवन में मेरे..लेकिन उस दिन के बाद मेरे … Read more

आखिरी बार – कंचन श्रीवास्तव

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सुबह के चार बजे थे जब रेखा की आंख बुरे स्वप्न के कारण खुली  , देखती भी क्यों ना आज साल भर होने को आया अस्पताल से घर और घर से अस्पताल की होके रह गई है।सब कुछ अस्त व्यस्त हो गया है ना समय से खाना ना पीना और न होना, बिल्कुल अनियमित दिनचर्या … Read more

परफेक्ट कपल – बेला पुनेवाला

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 दोस्तों, आज मैं आपको नाहीं कोई कहानी सुनाऊँगी और नाहीं किसी की बात। आज आप जो पढ़नेवाले है, वो है शायद हमारे सब के जीवन की सच्चाई। जहाँ दो दिल मिलते है, प्यार करते है, एक दूसरे से उम्रभर साथ निभाने का वादा करते है, फिर ज़िंदगी शुरू होती है, ज़िम्मेदारियाँ बढ़ने लगती है, कई … Read more

पापा आप बहुत याद आते हो – अर्चना गुप्ता

जिनका हाथ पकड़ कर नींद आती थी , सोचा ना था की हालात ऐसे होंगे …..कि आख़िरी बार उनका हाथ भी ना पकड़ पाऊँगी ….. अपने जीवन में ये शर्मिंदगी मुझे हमेशा महसूस होगी…,..काश जब मैं छोटी थी तो अपने पापा से अक्सर कहा करती थी “पापा मैं थक गयी मुझे गोदी उठा लो ना … Read more

“गुस्सैल पापा” – गरिमा जैन

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#पितृदिवस दरवाजे पर कॉल बेल बजती  है मम्मी : देखो बेटा पापा आ गए, दरवाजा खोलो । बेटा : जी मम्मी । पापा : इतनी गर्मी है, कितनी देर लगती है दरवाजा खोलने में! जा पानी लेकर आ । बेटा : मम्मी ,पापा पानी मांग रहे हैं, आप दे दो, मैं दूसरे रूम में जा … Read more

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