नासूर – डा. मधु आंधीवाल

प्रखर एक अच्छे घर का इकलौता  लड़का था । अभी तो बचपन से निकल कर किशोरावस्था में कदम रखे थे । मोहल्ले का माहौल सही नहीं था । मां पापा भी उसे हमेशा समझाते कि बेटा दोस्ती अच्छी होनी चाहिए । मोहल्ले के इन बिगड़ैल बच्चों से थोड़ी दूरी बना कर रखा करो । घर … Read more

आत्मसम्मान – निभा राजीव “निर्वी”

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ऋषि दवाइयों की दुकान पर सर दर्द की दवा लेने पहुंचा। वहाँ पहले से ही एक छरहरी सी सुंदर युवती खड़ी थी। ऋषि ने जब दवा का नाम कहा तो केमिस्ट ने कहा- “सॉरी सर, उस दवा की तो हमारे पास एक ही पत्ती थी, जो मैंने इन मैडम को दे दी है।” ऋषि ने … Read more

बाँस का बिस्तर: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

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#चित्रकथा जल्दी करो यार, तुम गुटका बाद में भी चबा सकते हो। बाँस वाला दुकान बंद कर चला जायेगा। धूप जीतनी तेज होती जाएगी बाँस वाले का मिलना उतना मुश्किल हो जाएगा। बाँस लेने के बाद कुम्हार से दो मिट्टी की हाँड़ी भी लेनीं है। वहाँ से फिर फूल वाले के पास जाना है, फूल … Read more

पवित्रा – भगवती सक्सेना गौड़

#चित्रकथा कोर्ट में न्याय का सिलसिला शुरू था, आज कटघरे में पवित्रा थी, जहां निरक्षर और शिक्षित गिद्धों ने रोज नजरो और प्रश्नों से उंसकी इज्जत की बखिया उधेड़ी। रात वो उन्ही यादों में खो गयी, उस रात ट्यूशन से घर आते देर हो गयी थी, कोई सहेली भी साथ नही थी। अपने स्कूल में … Read more

जोबन अनमोल – अनुज सारस्वत

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“बाली उमरिया कोरी चुनरिया जुल्मी नथनिया हाय-2 रूप नगर में लूट मचाई है सब कुछ बिकले बिकाये लगा ले तू भी मोल बलमा-3 जोबन अनमोल बलमा-3″ टीवी पर गीत चल रहा था रवि और अनीता बैठ कर देख रहे ।लोकडाउन की बजह से सारा दिन खाना और टीवी यही चलता । “बताओ इन तबायफों का … Read more

मेरे पापा – Dr रूपल श्रीवास्तव

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मैं अपनी मम्मी प्रीती सक्सेना की लेखनी के माध्यम से,,,, अपने पापा,,, महेश सक्सेना जी के बारे में कुछ बताना चाहूंगी,,, यूं तो हर पिता अपनी बेटी के लिए,, बहुत खास,,, बहुत स्पेशल होते हैं,,, पर मेरे पापा मेरे हीरो हैं,,,   जबसे होश संभाला है,,, उन्हें अपने बारे में ही सोचते पाया है,, मेरे भैया,,,, … Read more

याद – प्रीती सक्सेना

# चित्र आधारित कहानी            असहनीय दर्द में डूबा चेहरा,,, विस्मृत हुई यादों के पिटारे में से एक न भूलने वाली, याद,, याद दिला गई। ।             हम टीकमगढ़ में थे,, आर्ट्स कॉलेज सिविल लाइंस से बहुत ज्यादा दूर था,,, हमें पूरा बाजार पार करके कॉलेज जाना पड़ता था,,, करीब,,, पांच किलो मीटर का फासला … Read more

सफर भोर का — गोमती सिंह

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भड़ांग भिड़िग उसको पटकती उसको चिल्लाती हुई डाक्टरनी मिसेज खन्ना ने अपने बच्चे के लिए टिफ़िन बनाई और बच्चे को तैयार करके उसके जूते का लेश बांध ही रही थी तभी खड़ंग से गेट की आहट हुई, तब मिसेज खन्ना का गुस्सा और बढ़ गया। फिर वह क्रोधित लहजे में और कहने लगी ” ये … Read more

 पापा,आ जाओ ना एक बार – सुषमा यादव

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#पितृ दिवस #मन के भाव  एक बेटी की आंतरिक वेदना,, ,,,, ,,,,**** कुछ दर्द आंसू बनकर बह जाते हैं,, कुछ दर्द चिता तक जातें हैं,***  पापा की मैं दूसरी बेटी थी,, पापा, ने भले ही दीदी को मारा, डांटा हो, पढ़ाई के बारे में,,पर मुझे कभी भी एक उंगली से भी नहीं छुआ,, पापा हम दोनों … Read more

बेटियां बेटी बनकर भी मान बढ़ाती हैं – संगीता अग्रवाल

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” ईश्वर की लीला देखिए एक के बाद एक तीन बेटियां आ गई एक बेटा दे देता इनमे से तो जीवन तो सफल हो जाता!” मानसी छोटी बेटी को दूध पिलाते हुए पति देवेश से बोली। ” क्यों चिंता करती है तू मानसी देखना हमारी बेटियां बेटों की तरह नाम रोशन करेंगी !” देवेश ने … Read more

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