स्वाभिमान – विनय कुमार मिश्रा
“पापा! जरा जा कर देखिए, बाथरूम से लेकर हॉल तक का, क्या हाल हुआ है” ऑफिस से घर पहुंचा ही था कि बेटा लिफ्ट के पास ही मिल गया “क्यों.. क्या हो गया?” “आपने उन्हें यहां रुकने को ही क्यों बोल दिया पापा? आप उन्हें कल ही भेज दीजिए..प्लीज” “बेटे बस हफ्ते दस दिन की … Read more