नन्ही शबरी -मीनाक्षी चौहान

घर में आज पूजा है। माँ जी ने प्रसाद बनाने का जिम्मा मुझे सौंप दिया। खुद की तबियत ठीक नहीं है। हाथ नहीं लगा सकतीं इसलिए। जुटी हुई हैं कामवाली दीदी के साथ, लोगों के आने से पहले इधर सजाने उधर समेटने में। और ये कामवाली दीदी भी ना……इतना काम फैला है आज और ये … Read more

लुटेरा कहीं का -मीनाक्षी चौहान

दो घन्टे के सफ़र में चार घन्टे लगा दिए, खटारा बस ने। पत्नी और बच्चों के साथ उनकी मौसी के घर से वापस आ रहा था। अपने शहर पहुँचते-पहुँचते रात के ग्यारह बज गए। दोनों बच्चे भूखे और निंदियासे हो रहे थे। एक बड़ा सा रेस्टोरेंट दिखा भी पर उनमें जाने की इजाजत जेब ने … Read more

मैं भी तो उसकी माँ हूँ -नीरजा कृष्णा

“मम्मी जी, मैं जाऊँ क्या? वहाँ प्रोग्राम शुरू होने वाला है। दो बार फ़ोन आ चुका है।” “अरे हाँ बेटा! मैं तो भूल ही गई थी। ड्राइवर आया या नहीं?” “जी मम्मी, वो आ गया है।” माधवी जी की परम मित्र सुलेखा जी उन सबसे मिलने आई हुई थीं। वो इन सास बहू की बातचीत … Read more

यह क्षण भी कट जाएगा-yeh kshan bhi kat jayega

एक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू नें उसे एक ताबीज दिया और कहा की राजन इसे अपने गले मे डाल लो और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आये की जब तुम्हे लगे की बस अब तो सब ख़तम होने वाला है, परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ, कोई … Read more

ज्ञान का भंडार-gyan ka bhandar

एक बहुत ज्ञानी व्यक्ति था। वो अपनी पीठ पर ज्ञान का भंडार लाद कर चला करता था। सारी दुनिया उसकी जय जयकार करती थी। ज्ञानी अपने ज्ञान पर दंभ करता इतराता फिरता था। एक बार वो किसी पहाड़ी से गुजर रहा था, रास्ते में उसे भूख लग आई। उसने इधर-उधर देखा, कुछ दूरी पर एक … Read more

दशावतार-Dashavtar

एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से विडियो चैट करते वक्त पूछ बैठी- “बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या नहीं?” बेटा बोला- “माँ, मैं एक जीव वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ। विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन क्या आपने उसके … Read more

प्रभु_पर_विश्वास-Parbhu par vishwas

जाड़े का दिन था और शाम होने को आई। आसमान में बादल छाए थे। एक नीम के पेड़ पर बहुत से कौए बैठे थे। वे सब बार-बार कांव-कांव कर रहे थे और एक-दूसरे से झगड़ भी रहे थे। इसी समय एक मैना आई और उसी पेड़ की एक डाल पर  बैठ गई। मैना को देखते … Read more

मदद-Mdad

उस दिन सबेरे आठ बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकला । मैं रेलवे स्टेशन पँहुचा , पर देरी से पँहुचने के कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी । मेरे पास दोपहर की ट्रेन के अलावा कोई चारा नही था । मैंने सोचा कही नाश्ता कर लिया जाए । बहुत जोर … Read more

आलसी व्यक्ति-Alsi vyakti

पुराने समय में एक व्यक्ति बहुत आलसी था। वह कोई काम नहीं करता, बस इधर-उधर से किसी तरह खाने की व्यवस्था कर लेता था। एक दिन वह जंगल में घूम रहा था। तभी उसने देखा कि एक लोमड़ी लंगड़ाकर चल रही है। उसका एक पैर टूट गया था। लोमड़ी की ये हालत देखकर आलसी व्यक्ति … Read more

निस्तब्धता-nistbadhta

बेटों ने चलने फिरने और बोलने में असमर्थ अपने पापा रिटायर्ड मेजर को अस्पताल से छुट्टी मिलते ही घर के एक कमरे में फर्श पर गद्दा लगा दिया और नेपाली नौकर को कहा, “इनका पूरा ख्याल रखना। हमें कोई शिकायत ना मिले।” छोटे बेटे की नई शादी हुई थी। उसने हनीमून व गर्मियाँ बिताने के … Read more

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