भरोसा – नीलम सौरभ

काम से थके-माँदे लौट कर घर में प्रवेश करते विनोद ने देखा, दूसरे मोहल्ले में रहने वाली उसके दूर रिश्ते की चाची उसके घर से निकल कर बाहर जा रही थीं। दोनों ने ही एक-दूसरे को देखा मगर चाची ने कोई बात नहीं की और झटपट अपने रास्ते हो लीं। घर के भीतर विनोद ने … Read more

राजयोग – गरिमा जैन

आज कितने दिनों के बाद रचना से मुलाकात हुई, दिनों नहीं सालों कह सकते हैं। स्कूल टाइम में तो वह कितनी तेज तर्रार लड़की हुआ करती थी। हर चीज में आगे। हम उसे ऑलराउंडर कहकर बुलाते थे। हंसी मजाक करना तो कोई रचना से सीखता। छोटी-छोटी बातों पर ऐसे चुटकुले, ऐसे जुमले कस देती कि … Read more

आखिरी अलविदा – गरिमा जैन 

समीर :”आज तो तुम बहुत खुश लग रही हो ,ऐसे तो कुछ भी कर लो तुम्हारे चेहरे पर तो मुस्कुराहट आती ही नहीं। ऐसा क्या छपा है अखबार में जिस को पढ़कर तुम्हारी मुस्कुराहट ही नहीं थम रही।” उर्मिला: “नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ याद आ गया” समीर:” अरे क्या याद आ गया … Read more

मैंने अपनी बेटी ब्याही है, बेची नहीं है! – मनीषा भरतीया

नैना एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी|घर में माता-पिता चार बहनें और एक भाई-भाभी थे। दो बहनों की शादी हो चुकी थी और दो नैना और उसकी छोटी बहन कुंवारी थीं। अब रिश्ते में बंधने की बारी नैना की थी। नैना के लिए कई रिश्ते देखे गए, लेकिन कुछ नैना को तो कुछ नैना … Read more

जिस घर में बेटियों की चलती है, वो घर नहीं बसते!!  – मनीषा भरतीया

रश्मि एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी, उसने बीकॉम तक पढ़ाई की थी| उसके परिवार में उसके माता-पिता, बड़े भाई सुरेश जिनकी शादी हो चुकी थी| अब रश्मि के लिए रिश्ते देखे जा रहे थे| कुछ लड़के रश्मि को और उसके परिवार वालों को पसंद नहीं आ रहे थे| तो कुछ ने रश्मि को … Read more

बेटियों वाले हुए तो क्या हुआ??  – मनीषा भरतीया

सुबह सुबह मीठी आवाज में आरती की गूंज से पूरा वातावरण निर्मल हो रहा था। उनकी आवाज में साक्षात सरस्वती का वास था। यह आरती की आवाज सुधाकर जी के घर से आ रही थी। उनकी पत्नी सुनीता जी रोज सुबह 5 बजे ही भगवान की भक्ति में लग जाती थी। सुधाकर जी के परिवार … Read more

रात रानी – कंचन श्रीवास्तव

रात की रानी सी खिली खिली रहने वाली सविता का चेहरा दिन पर दिन और निखरता जा रहा है जिसे देखकर सभी हैरान  है, हो भी क्यों ना जिन परिस्थितियों के बीच वो रह रही है उसमें तो अच्छे अच्छों के चेहरे का रंग उड़ जाए,फिर खुलकर हंसना तो दूर चेहरे पर मुस्कान भी दस्तक … Read more

सात फेरों के सातों वचन – कंचन शुक्ला

अद्वैता की इक्यावनवी सालगिरह थी कल। रात से भोर तक उसका मन अनमना था। उसके कानों में बार बार समन्वय का “सॉरी माफ कर दो” गूँज रहा था। पर उसे ऐसा लगा, मानो धरती फट जाए और वो उसमें समा जाए। वो उसका बार बार पूछना,” कहाँ कमी रह गई मुझसे??”, “तुम्हारी उम्मीदों पर मैं … Read more

ख़त – अनु मित्तल ‘इंदु ‘

कुमुद ने  भी अपने  पिता की मर्ज़ी के आगे सर झुका दिया था । लड़के वाले आये थे देखने । लड़का देखने में सुँदर पढ़ा लिखा था , परिवार भी संपन्न था । परिवार से भी उसकी  मम्मी की पुरानी पहचान निकल आई थी। लड़के की भाभी कुमुद के मम्मी को जानती थीं  ।दोनों  एक … Read more

भरपाई, एक बेबसी – ” रीमा महेंद्र ठाकुर “

हरिया, अपनी जोरु के साथ, कन्धे पर अपनी इकलौती बेटी को बिठाये लम्बे डग भरता चला जा रहा था। अगर आज छोटे मालिक चले गये तो “”” बडे मालिक से नजरे कैसे मिला पायेगा,छोटे मालिक के बडे एहसान है उसपर,,,, इस साल तो टिडिड्यो ने पूरी फसल चौपट कर दी,थी भला हो छोटे मलिक का … Read more

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