डकैत – कमलेश राणा

पापा बैंक मैनेजर थे,,,उनका ट्रांसफर नई नई जगह होता रहता था,,,,और हमें उस नई जगह के भूगोल,भाषा और परम्पराओं को जानने का मौका मिलता और साथ ही साथ बहुत सारे नये लोगों से मिलने का सौभाग्य भी। उनमें कुछ लोग तो ह्रदय पर अमिट छाप छोड़ जाते,,,,,कुछ की स्मृतियाँ मन को कड़वाहट से भर देतीं … Read more

दिखावा – प्रीती सक्सेना

 सुधा मेरी पड़ोसन है,, काफ़ी लंबे समय से हम एक दूसरे की पड़ोसन हैं,,, बाउंड्री वॉल, जुड़ी होने से कई बार एक दूसरे से मिलना हो जाता,, थोडी बाते भी हो जाती।   सुधा के पति का व्यापार था,, मेरे पति नौकरी पेशा हैं,, ज़रूरत से ज्यादा शौकीन है,, सुधा ,खरीददारी की,, अच्छा  खासा खर्च … Read more

मेरे जीवन दाता — डा. मधु आंधीवाल 

आज राम प्रसाद जिसे सब लोग रामू कहते थे बहुत खुश था । खुश अकेला वही नहीं था पूरा परिवार और पूरा गांव मस्ती से झूम रहा था । आज उसका बेटा कलक्टर बन गया । कितनी मुश्किल से उसने और उसकी पत्नी मुनिया ने उसको शहर में पढ़ाया था । शरद शुरु से ही … Read more

दिल से याद – कंचन श्रीवास्तव

तमाम रिश्तों से विमुख हो मन,  दीमाग को नज़रंदाज़  कर उस दिशा में भागता जहां जाने अंजाने दिल की जमीं पर मोहब्बत का पौधा उगा आया । एक तरफ तरुणाई यौवन को छू रही तो दूसरी तरह मन किसी अनजाने से बंधन में बंध रहा, वो भी ऐसे कि उसके आगे सारे रिश्ते फीके हैं,लाख … Read more

इंतजार ” – गोमती सिंह

–मार्च का महीना था। रात के लगभग 9 बज रहे थे । सर्दी विदा ले चुकी थी।  अत: धीमी गति से पंखा चल रहा था।         नीरजा औंधी लेटी हुई अपनें पति देव के आने की राह देख रही थी।  इस तरह कुछ बीते हुए बातों के बारे में सोचते हुए उसका मन अतीत में चला … Read more

गरीबी – मीना माहेश्वरी

   आज घर में बड़ी रौनक थी । गुप्ता जी के बड़े बेटे के सुपुत्र की प्रथम वर्ष गांठ थी। बड़ा अयोजन रखा गया था। सभी नाते रिश्तेदार आए थे। मानस का अखंड पाठ। चल रहा था।  गुप्ताजी की छोटी बेटी  कामिनी अपने दोनों बच्चों के साथ  आई थी।बड़ा बेटा हार्दिक 8साल का था और बेटी … Read more

ज़िंदगी मिलेगी दोबारा – रश्मि स्थापक

“कुछ भी कहो कर्नल…चमक रहे हो आजकल…भई बात क्या है?” कहते हुए नरेंद्र ने जोरदार ठहाका लगाया। ये दोनों सेवानिवृत्त दोस्तों की सुबह की सैर की बातचीत थी। “अरे यार ….तुम भी अच्छा मज़ाक करते हो …इस पचहत्तर की उम्र में अब क्या चमकेंगे और तुम्हारी भाभी के बाद तो जैसे सब चला गया।” “वो … Read more

बाबुजी – पुष्पा पाण्डेय

पंडित जी! सुने है अपनी बिटिया की शादी वकील साहब के बेटे से कर रहे हैं?” “सही सुना है आपने रामदीन जी।सब भगवान की कृपा है।” पंडित जी की बेटी वाणी भी तो रूप और गुण दोनों की मल्लिका थी। सितार वादन में निपुण काॅलेज की टाॅपर थी। वाणी आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन पिता … Read more

ससुराल में उपहारों से नहीं, प्यार  से सम्मान मिलता हैं.. – -संगीता त्रिपाठी

    ” मम्मी आप इतनी कम मिठाइयाँ भेज रही हो,मेरी ससुराल वाले क्या कहेँगे ड्राई फ्रूट्स भी कम हैं।शुभ अवसरों पर मेरी देवरानी के घर से इक्कीस किलो से कम मिठाई आती ही नहीं। आपने मेरी सासु माँ की सोने की जंजीर भी हल्की खरीदी जबकि प्रिया के घर से तो पूरा सेट आया था सासु … Read more

डैडी  – सीमा बी.

#पितृ दिवस विशेष हम भाई बहन जहाँ पैदा हुए थे वे एक छोटा सा गाँव था। किसान परिवार था। आज से तकरीबन 50 साल पहले गाँव में पापा को बाऊजी, पापा या बाबूजी के संबोधन से ही बुलाया जाता था पर हम पापा को डैडी कहते थे। हमारा ननिहाल दिल्ली में था तो ये शब्द … Read more

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