पिता का दिल –  गोविन्द गुप्ता

राघव एक सीधा सादा नवयुवक था पिता की एकमात्र संतान , अच्छी पढ़ाई व पालन पोषण के कारण समाज मे अच्छी प्रतिष्ठा थी, लोग बहुत सम्मान करते थे, शादी के लिये रिश्ते आये तो जानकी नाम की एक शिक्षित व सुसंस्कृत महिला से विवाह कर लिया, इधर एक बेटा हुआ राघव के तो दोनो बहुत … Read more

पीहर – प्रीती सक्सेना

   इस बार का विषय, बहुत रुलाएगा,, मुझे,, मातृविहीन बेटी,,, मम्मी के साथ बिताए दिनों को याद करेगी,, और आप सबके साथ अपनी भूली बिसरी स्मृतियों को सांझा भी करेगी।     अपनी शादी के चौथे साल ही,, मां के आंचल से छूट गई मैं,, हां,वो तीन साल जो मम्मी के सानिध्य में गुजारे,,, वो आज 33 साल … Read more

“मेम साहब “ – अरविंद दीक्षित

“राजा ,तुम्हारा पत्र “मैने अपने बैरे को आवाज  लगाई.उसे मेरी बात पर विश्वास ही आया .उसने वही से मुस्कुराते  हुए उत्तर दिया “क्यों साहब !मजाक को भी आपको यही मेरे काम का समय मिला ,मेरा पत्र !आप वहीं से ही पढ़ दीजिये “     मै एक क्षण उसके भोले मुस्कुराते चेहरे को देखता रहा ,फिर मैने … Read more

बेस्ट मोम का अवार्ड  -चाँदनी झा

मोनिका सूरज के प्यार में, शादी करते ही सात साल के बच्चे सोनू की माँ तो बन गयी। पर……कैसे बच्चों को मनाये, कैसे खिलाये, उलझ गयी थी वह। सूरज की पहली पत्नी नंदिता जब सोनू  4 साल का था, तो लंबी बीमारी के कारण उसका निधन हो गया। सूरज की जिंदगी में अंधेरा तो आया … Read more

सासु माँ आप भी – के कामेश्वरी

भवानी जी को घर में शांति पसंद नहीं है । हमेशा घर में झगड़े या तू तू मैं मैं होनी ही चाहिए । उन्हें लगता है कि शांति है घर में तो लोगों की नज़र लग जाएगी । बताओ भाई लोगों की नज़र न लगे इसके लिए अपने ही घर में भला कोई अशांति फैला … Read more

रीमा – उर्मिला प्रसाद

#चित्रकथा अब रीमा एम .ए. की पढ़ाई कर रही है। वह बहुत खुश दिख रही थी। वह कल ही तो मुझसे मिली थी। प्रणाम किया था और मेरा हाल भी पूछा। मुझे भी बड़ी खुशी हुई उसे  इस तरह आगे बढ़ते हुए देख कर!  शायद वह सब कुछ भूल गई होगी जो उसके साथ बच्चपन … Read more

कर्त्तव्य-बोध –  डॉ पारुल अग्रवाल

#चित्रकथा रात के सन्नाटे में सड़कों पर कोई शोर नहीं था, सुनाई दे रही थी तो एम्बुलेंस की वो भयवाह आवाजें। पूरी रात घरों के आस-पास,एम्बुलेंस की आवाज़ सन्नाटे को चीरकर एक डरावना माहौल पैदा कर रही थी,हर कोई घबराया हुआ था। लोगों के हाथ अनजानों के लिए भी दुआ के लिए उठ रहे थे। … Read more

 जायदाद – विभा गुप्ता

    दीक्षा, तीन वर्ष की रही होगी,जब उसकी माँ का देहान्त हो गया था।रिश्तेदारों ने उसके पिता को बहुत समझाया कि दीक्षा अभी बहुत छोटी है,उसके पालन-पोषण के लिए दूसरी शादी कर लो लेकिन वे नहीं माने।कहने लगे कि कौन जाने, नई माँ मेरी बच्ची को प्यार दे या न दे और फिर अपनी औलाद होने … Read more

पितृ दिवस – डा. मधु आंधीवाल

बेटियाँ शायद मां से भी अधिक पिता से जुड़ी होती हैं । कभी कभी मां को टीसता भी है । जब बेटी स्कूल ,कालिज या ससुराल से आते ही पूछती है मां पापा कहां है। फोन पर पहला सवाल पापा कैसे हैं ।  एक पिता का संघर्ष सब सन्तान नहीं समझ पाती । हमारे समय … Read more

मैं पागल नहीं हूं – सुषमा यादव

#चित्रकथा ,, इस चित्र में किसी की असीम वेदना, संताप , मानसिक प्रताड़ना से पीड़ित असहनीय दर्द से उपजा हुआ क्रोध और उसकी बेबसी की चीखें परिलक्षित हो रही है,,,,,, **** इसी से संबंधित मेरी ये कहानी,,,, ,,,,वो फ्रांस यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद वहीं नौकरी करने लगी थी,,पर कुछ समय बाद उसे अपनी मां … Read more

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