जीवन की डोर – तृप्ति उप्रेती
अशोक एक फैक्ट्री में क्लर्क के पद पर कार्यरत था। घर में उसकी मां विमला जी और पत्नी गीता थे। अशोक के विवाह को एक साल हो गया था। अब विमला जी पोता या पोती के संग खेलने की प्रतीक्षा कर रहीं थी। अशोक की आमदनी कम थी इसलिए वह अभी बच्चे के लिए तैयार … Read more