मां का प्यार – ऋतु गर्ग

घर में सबसे छोटी चुलबुली रीता को मां का गुस्सा करना एकदम भी अच्छा नहीं लगता था। छोटी-छोटी बात पर टोकना और साफ सफाई का ध्यान रखना मां के व्यवहार में शामिल था।  रीता की मां अनपढ़ थी लेकिन समझदार काफी थी हिसाब किताब तो जैसे उंगलियों पर ही आता था। हमेशा अपने व्यवहार से … Read more

माँ से माँ तक – गोविन्द गुप्ता

आसमान में तारे गिनती सुकन्या ईश्वर से कह रही थी कि मेरे किस जन्म की सजा आपने मुझे दी कि मुझे शादी के 10 वर्ष बाद भी कोई औलाद नही दी,और बस 2 बूंद आंसू छलके जमीन पर गई पड़े , यही क्रम विवाह के एक वर्ष बाद से हर रात चल रहा था,डॉक्टरों का … Read more

ममता का रिश्ता – कंचन श्रीवास्तव

ये कोई कहने की बात नहीं है कि जब दिन गर्दिश भरे हो तो कोई साथ नहीं देता,चाहे खून का ही रिश्ता क्यों न हो। कभी कभी सोचता हूं रिश्ता तो खून का ही मां के साथ भी होता है फिर वो क्यों नहीं बदलती। मुझे अच्छे से याद है जब हम चारों भाई बहन … Read more

मेरी रोज़ -रीता मिश्रा तिवारी

रुक जा तराना ! हम कह रहे हैं भला मन से रख दे नाहीं तो … नाही तो का ज़रा पकड़ कर दिखाओ ही ही ही कर तराना जो लेना था वो लेकर भाग गई । दीनू चिल्लाता रहा अरे कोई पकड़ो उसे, उफ्फ मेरा पचास रुपए का नुकसान कर दिया । एक न एक … Read more

संघर्ष…. सुधा सिंह भाग 1

रवि बालकनी में बैठा लॉन में खेलते बच्चों को बड़े ध्यान से देख रहा था कितने खुश थे ! सब बच्चे एक अजीब सी चमक थी  सबके चेहरे पर मानो  दुनिया से बेखबर किसी की भी परवाह नहीं बस लक्ष्य था केवल जीतना! कोई बॉल खेल रहा था कोई छुपन छुपाई खेल रहा था !उनकी … Read more

फूलवाली लड़की…-सीमा वर्मा

रोज शाम पांच बजे घर से निकल  नीरजा  रोड के उस पार वाले  फूल की दुकान से अपनी व्हील चेयर पर आश्रित बिटिया रिम्मी के साथ  जा कर फूल खरीदना नहीं भूलती है ।                         यों की नीरजा घर के कार्य से  थकी हुयी होती है फिर भी उस दुकान में ताजे फूलों के बीच बैठी … Read more

एक भूल -सुनीता मिश्रा

लम्बे केश,छरहरी काया,बड़ी बड़ी बोलती आँखे, हँसता चेहरा और रंग ,सुबह निकली सूरज की   किरणों सा।ऐसा छन्नो का रूप।लगता मानो राजा रवि वर्मा की पेंटिंग शकुन्तला प्रगट मे सामने आ गई हो । आज तो अलग ही निखार था  सुबह सुबह जब दूध की डोलची ले हमारे घर आई।माँ को आवाज दी– “भाभी ,दूध … Read more

जीवन की सँध्या बेला-सीमा वर्मा

” बवँडर ” यानी मृगतृष्णा का नाच आप सबने देखा होगा ? । मेरी अम्मा कहती थीं वह गर्मी की दुपहरिया में नाचती है और नाचते – नाचते सामने जो आता है उसे दो फाड़ कर देती है ठीक वैसे ही जैसे मेरी अम्मा और पिताजी हो गए ।              आज उस दुष्ट लड़के सुरेश ने … Read more

पराई बेटियां – आरती रॉय

पिताजी के गुजर जाने के बाद सोनम कब पापा की जगह ले ली उसे पता ही नहीं चला । खुबसूरती खुद्दारी में बदल गई , दो दो भाईयों की पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी ,ओवरटाइम करते करते पैसा कमाने में मशीन बन गई । माँ भी पापा के जाने के बाद , जैसे जिंदगी का जुआ … Read more

नन्ही शबरी -मीनाक्षी चौहान

घर में आज पूजा है। माँ जी ने प्रसाद बनाने का जिम्मा मुझे सौंप दिया। खुद की तबियत ठीक नहीं है। हाथ नहीं लगा सकतीं इसलिए। जुटी हुई हैं कामवाली दीदी के साथ, लोगों के आने से पहले इधर सजाने उधर समेटने में। और ये कामवाली दीदी भी ना……इतना काम फैला है आज और ये … Read more

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