मां मुझे नहीं जाना ** – –डॉ उर्मिला शर्मा

 प्रकाश मेहता और उनकी पत्नी नमिता रात का खाना खाकर सोने की तैयारी कर ही रहे थे कि फोन की घण्टी बजी। नमिता का दिल धड़क उठा। बेटी स्मृति को लेकर मन आशंकित हो गया। फोन प्रकाश जी ने उठाया। “आपकी बेटी ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। फांसी लगा ली उसने। आकर ले जाएं … Read more

बन्धन – रीमा ठाकुर

लघु कथा” आज क्या हुआ बहेन तुमने फिर से, सबसे लडाई की “ नहीं भाई ,,मैं आपको कैसे बताऊ”आपका आना जाना हमारे ससुराल वालो को पसंद नहीं। तो हम नहीं आऐगे कल से “बहेन अपने घर में खुश रहे एक भाई को और क्या चहिए “मायूस होकर बोला नदीम “ इतने सालो का बँधन कैसे … Read more

मेरी बाई…. नहीं आई –  पूजा मनोज अग्रवाल

गर्मियोँ की छुट्टियाँ पड़ गई हैं , तो सोचा हम भी कुछ दिन मौज कर आएं…. अपनी माँ के यहाँ ,,,  ।         तभी फोन की घंटी बजती है,,,,  ” हेलो,”  भाभी ,,,,हम आज नही आयेगी , आज हम घर पर रह कर आराम करियेह,,,, हमार कमर दरद कर रई ,,।”      अरे  मीना  !  कितनी बार कहा … Read more

बेइंतहा प्यार – रीटा मक्कड़

जब बचपन मे तुम्हे देखा तब से तुम मुझे अच्छे लगने लगे। तब तो प्यार का मतलब भी नही पता था। जब कमसिन अल्हड़ उम्र हुई अभी ये भी नही पता था कि प्यार क्या होता है तब भी तुमसे ही प्यार किया। तुम नही मिलते तो मैं बहुत रोती थी वो तो बहुत बाद … Read more

अनोखा प्रयोग – प्रीती सक्सेना

 २५ साल पहले हम जबलपुर से ट्रांसफर होकर इंदौर आए, कुछ दिन तो घर और सामान को व्यवस्थित करने में निकल गए, फिर जब पूरी तरह फ्री हो गए तो अपना ब्यूटी पार्लर शुरू किया.   एक दिन बेल बजी, देखा तो एक महिला दिखी, अंदर आई, तो आने का प्रयोजन पूछा, महिला संकोची भयभीत, अपने … Read more

वो वाक़या जो भुला न सका – अनजान लेखक (मुकेश कुमार)

पैंतालीस साल से उपर गुजर गए थे जब मैंने ठान लिया था की जो भी हो अब इस जन्म में दोबारा हमलोग न ही भेंट-मुलाक़ात करेंगे और न ही बात करेंगे. एक शहर के हो कर भी हमलोग अजनबी बने रहे. लेकिन वो बोलते हैं न की “कुछ चीज़ें आप करते हैं और कुछ चीज़ें … Read more

दादी बुआ का पिटारा – पायल माहेश्वरी

बड़ी बहन भी माँ समान होती हैं यह पंक्ति सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं, पर हमारे सामाजिक परिवेश में वो स्त्री जिसका स्वयं कोई परिवार नहीं होता हैं वो मन से कितनी अकेली होती हैं यह मैंने अपनी कथा में दर्शाया हैं।   “आज तो मैं दादी-बुआ के पिटारे का राज जानकर रहूँगी ” कमला … Read more

होश – दीप्ति सिंह

 कांति अपनें माँ बाप की इकलौती पुत्री थी। दो पुत्र कांति से पहले खत्म हो गए ,चार कांति के बाद पैदा हुए यानि चार भाइयों की इकलौती बहन, घर भर की लाडली।  “कांति की माँ !ब्याह कर दे कांति का, मृतजाई है… जिनगी लंबी हो जाएगी इसकी । ”  एक ग्रामीण महिला ने सलाह दी … Read more

माँ का साथ – सरला मेहता

” हुर्रे ! इस साल भी हमें विभा मेम ही विज्ञान पढाएंगी। ” पाँचवीं कक्षा के बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं है।  आदि ताली बजाता है, ” हाँ ना, मेम का भी जवाब नहीं। खेल खेल में सब समझा देती है। “ कक्षा में सभी शिक्षकों से डाँट खाने वाला विभोर तो बस नाचने … Read more

लकवा मार गया है: मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

बात तो वो भी सही थी न पल्लवी? क्या सही थी, बीना सोचे समझे कुछ भी बोलते रहते हो। अरे भई मैंने तो इतना कहा न की अगर मेरे पास सरकारी नौकरी नहीं होती तो तुम्हारी शादी योगेश से हो जाती। हुई नहीं न? तो फिर क्यों उस बात को उकसाते रहते हो? और वैसे … Read more

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