अतीत के पन्ने

रागिनी की माँ ने कहा, “8 बज गए हैं अब कब सोकर उठोगी। आज ऑफिस नहीं जाना है क्या? इतनी बड़ी हो गई है फिर भी बच्चों जैसी करती रहती है।” रागिनी जल्दी से बिस्तर से उठी, “8 बज गए हैं!” कहते हुए जल्दी से बाथरूम की ओर भागी फटाफट बाथरूम से फ्रेश होकर निकली … Read more

जिंदगी हर कदम एक नई जंग है ( एक बेटी कि संघर्ष कि कहानी)

सोनम लंच बना रही थी  तभी उसके फोन का रिंग बजने लगा।  उसने अपने ननद को आवाज दी, किरण, मेरा फोन लेकर आना, देखूँ तो किसका फोन है।  सोनम की ननद किरण ने कहा, “भाभी आपकी मम्मी का फोन है। ” सोनम ने झट से दौड़कर फोन उठाया क्योंकि उसके पापा कई दिनों से बीमार … Read more

अपने तो अपने होते हैं

यह कहानी एक ऐसे बेटे की है उसके माँ बाप तो नहीं थे लेकिन जो थे वो माँ बाप से भी बढ़ के थे उनके खुद के बेटो ने उन्हे वृद्धाश्रम पहुचा दिया लेकिन इसने उन्हे मान और सम्मान दिया तो आइये पूरी कहानी पढ़ते हैं। इस कहानी को सुनने के बाद अगर आपके आंखो … Read more

तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई

कुछ ही दिन पहले मैं शादी करके दिल्ली आई थी. मेरा ससुराल दिल्ली में ही था मेरे पति का चांदनी चौक, दिल्ली मे दुकान था। मै शुरू से भगवान मे बहुत विश्वास करती हूं और बचपन से ही मैं सुबह नहाकर जब तक मंदिर में पूजा ना कर लूं।  मैं अपने पेट में एक अन्न … Read more

उधार के रिश्ते

रूबी 5 साल की थी तभी से उसके सर से बाप का साया हट गया था उसके बाद रूबी की मां अपने मायके में ही रहती थी।  रूबी को यह पता नहीं था कि उसके पापा आखिर कहां चले गए, वह हमेशा अपने नानी से और अपनी मां से इस बारे में पूछती थी लेकिन … Read more

कभी सौतन कभी सहेली

लक्ष्मी की सास को अपने बहू की कोख से सबसे पहले बेटा चाहिए था लेकिन बेटे की चाह मे लक्ष्मी 4 लड़कियों को जन्म दे चुकी थी। पांचवी बार लक्ष्मी माँ नहीं बनना चाहती थी, इस महंगाई के जमाने में चार लड़कियों का पालन-पोषण करना ही बड़ी बात है। लेकिन उसने मन बना लिया था … Read more

मायके की ललक

रागिनी का जन्म एक संयुक्त परिवार में हुआ था। रागिनी के पापा के चारों भाई दादा-दादी सब साथ ही रहते थे। संयुक्त परिवार में होने के कारण रागिनी, रिश्तो की कद्र करना जानती थी और वह खुद भी एक बेहद समझदार और जिम्मेदार लड़की थी। जब रागिनी कॉलेज में थी तभी उसकी शादी प्रकाश से … Read more

ससुराल की नौकरानी-Mukesh Kumar

डिनर बनाने का समय हो गया था नेहा ने  सोचा कि सब से पूछ लेती हूं कि सब लोग क्या क्या डिनर में खाएंगे। सबसे पहले उसने अपनी सास से पूछा, “मम्मी जी आज खाने में क्या बनाऊँ.  नेहा की सास सविता जी ने कहा, “मुझे तो आज राजमा चावल खाने का मन कर रहा … Read more

बीमार हूँ लाचार नहीं-मुकेश कुमार

प्रताप जी का दिल्ली में शर्ट की अपनी खुद की फैक्ट्री थी। गांधीनगर के होलसेल बाजार में उनकी खुद की अपनी दुकान भी थी उनके तीनों बेटे मिलकर दुकान को संभालते थे।  प्रताप जी पैसे की कमी की वजह से स्वयं तो पढ़ाई नहीं कर पाए थे क्योंकि वह खुद एक गरीब परिवार से आते … Read more

पलकों की छांव में

साहिल बंगलोर की कंपनी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था छोटा सा परिवार था पत्नी, एक बेटा,एक बेटी  और उसके पापा, मां बचपन में ही गुजर गई थी एक बहन थी तो वह शादीशुदा थी।   साहिल के पापा स्कूल शिक्षक थे जब तक नौकरी में थे तब तक तो वह गांव में ही रहते थे … Read more

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