मायका –  अरुण कुमार अविनाश

New Project 56

नैना देवी बहुत बीमार थी। डॉक्टर ने अत्यधिक देखभाल की ज़रूरत बतायी थी। इलाज लंबा चलने वाला था – जिसमें उचित दवाइयों के साथ-साथ समुचित परहेज़ भी तजवीज़ की गई थी। स्थिति ये थी कि या तो महीनों अस्पताल में भर्ती रहतीं या घर में अस्पताल जैसा माहौल बना दिया जाता। आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं … Read more

तेरी मुहब्बत ने… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

New Project 57

मैं उसे जब भी देखता ,जब भी मिलता था तो यह सोचकर मिलता कि या तो आज सब कुछ कह दूँगा या फिर सब कुछ खत्म कर दूँगा.. फिर सोचता आखिर खत्म क्या करूँ… मेरे दिल मे बसी उसकी बेपनाह मुहब्बत या उसके दिल में बसी  मेरे लिए बेहिंता नफरत.. “दिव्या” मेरे मुहल्ले की भोली … Read more

खिलखिलाती जिंदगी – भगवती सक्सेना गौड़

आज पार्क में शाम को अपनी सखी मालिनी को देखकर मन प्रसन्न हुआ। सोसाइटी में वो है पांच वर्षों से, पर छह महीने यहां पर और आधे वर्ष छोटे बेटे के घर मे रहती है। मुझे अंदाज़ था आज तो सब सखियों की मस्त महफ़िल जमेगी, कोई कोई शख्स अपने साथ अपने चारों ओर पॉजिटिव … Read more

लो आ गई उनकी याद – के कामेश्वरी

New Project 58

पदमा और वेंकट दोनों ही बैंक में काम करते थे । वहीं से उनकी प्रेम कहानी शुरू हुई थी । दोनों एक ही ब्रांच में काम करते थे । बड़ों की रज़ामंदी से दोनों का विवाह बड़े ही धूमधाम से हो गया । अपनी ज़िंदगी में वे दोनों बहुत खुश थे । एक साथ ऑफिस … Read more

एक और प्रेम कहानी – रेणु गुप्ता

New Project 59

दूर्वा अपने घर में बागीचे में अपने सबसे पसंदीदा कोने, बेहद सुंदर सफेद और नारंगी रंग के अनगिनत नन्हे फूलों से लदे फदे हरसिंगार के वृक्ष की सुकूनभरी छांव में बैठी हुई थी और आज का दिन मानो चलचित्र की रील की भांति उसके मानस चक्षुओं के सामने एक बार फिर से गुजर रहा था … Read more

साहसी कदम – डा. मधु आंधीवाल

आज अवनी आई बहुत खुश लग रही थी । आकर मेरे से लिपट गयी । मैने कहा कैसी हो बेटा वह हंस कर बोली आपके सामने खड़ी हूँ ना । मै बीते दिनो में पहुंच गयी एक प्यारी सी मनमोहक छवि की मालकिन अवनी मेरी सबसे अधिक  करीबी थी । मेरे ही पड़ोस में  मि. … Read more

“बैसाखी ” – रंजना बरियार

New Project 60

बैसाखी तब पन्द्रह वर्ष की ही थी जब राम सिंह, मुखिया जी के बेटे ने प्रेम का झाँसा देकर उसका शारीरिक शोषण किया करता था..गर्भ से होने पर उसने शादी का दबाव बनाया तब भी बहाने बनाकर वो शोषण करता रहा..टालता रहा,पाँच माह का गर्भ होने पर वो पढ़ाई के बहाने गाँव छोड़ कर कहीं … Read more

मेरा क्या कसूर  – रीता खरे

 यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही अनु भी सुन्दर सुन्दर सपने सजाने लगीं थी, वह भी किसी सुन्दर राजकुमार के आने की प्रतीक्षा करती, पर वह जानती थी कि मध्यम परिवार एवं साधारण रूप के आगे असाधारण गुण विफल हो जाते हैं ।       ग्रेजुएट होते होते उसकी कई सहेलियां प्रणय बंधन में बंधने लगी  … Read more

दहलीज – गौतम जैन 

कई वर्षों पश्चात घर की ” दहलीज ” पर कदम रखते ही राजू सर से पांव तक कांप गया…. आंसुओ का समंदर जो अब तक ठहरा हुआ था… हिलोरें मारने लगा… तट बांध तोड़ने को आतूर हो गया।जैसे ही अंदर निगाहें गई… बांध टूट ही गया । सामने ही रिश्तेदारों से घिरी “मां” । व … Read more

लायक – गौतम जैन

सायरन की आवाज के साथ ही एम्बूलैंस तेजी से अस्पताल में आकर रुकी । पेशेन्ट को तुरंत स्ट्रेचर में आपरेशन थियेटर में  लाया गया  और आपरेशन शुरू हो गया ।       सुरेश ने अस्पताल की सारी औपचारिकताएं पूरी की और तीन लाख रुपए जमा करवा दिए । और पापा की सलामती की प्रार्थना करने लगे।        करीब … Read more

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