सज़ा – अनु’ इंदु

एक ही शहर में रहते हुये भी तनु दीदी मुझसे कभी नहीं मिली थीं । जबकि तनु दी मेरी सगी बुआ की लड़की थी । फिर ऐसा कुछ हुआ कि तनु दी को मैंने दिल्ली में किसी रिश्तेदार की मृत्यु पर देखा । देख कर यकीन नहीं हुआ कि क्या यह वही है । कितनी … Read more

“सफेद झूठ” बहु नहीं बेटी है,-सुधा जैन

मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी अनाया अपने मम्मी पापा दादा दादी सभी  की लाडली बिटिया है… उसमें अपना ग्रेजुएशन पूर्ण कर लिया ..और भी आगे पढ़ना चाहती थी.. कुछ करना चाहती थी पर उसके मम्मी पापा ने सामाजिक दबाव… पारिवारिक… कुछ भी कहो… हमारे परिवारों में विवाह योग्य लड़की सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है? सभी … Read more

खुशी की चाह – गरिमा जैन

जब भी राधिका की बात अपनी सहेली मालती से होती तो उसका दिल मचल मचल उठता। मालती कितनी खुश थी। ना जाने किन चक्र में पड़कर राधिका ने शहर में शादी कर ली। बचपन से तो उसका सपना यही था कि वह गांव में रहे। क्यों उसने इतनी बड़ी गलती की?  उसकी सहेली मालती कितनी … Read more

परी की वापिसी – रीटा मक्कड़

परी की वापिसी – रीटा मक्कड़ शादी के बाद पहली बार जब वो माँ बनने वाली थी तो उसके पति और उसका दोनो का ही मन था कि उनके घर एक प्यारी सी बेटी हो। लेकिन भगवान ने उनको  प्यारा सा बेटा दिया।पहली संतान थी वो भी बेटा। तो सभी परिवार वाले बहुत खुश हुए … Read more

जश्न_CompetingOneself – Dr Ashokalra

आपको ये किस्सा सुना रहा है, मेरा एक किरदार— आकाशगंगा! आज मेरे पापा का जन्मदिवस है, और मैं, आकाशगंगा, अपने पति के साथ जश्न मनाने आई हूँ। मैंने बैंक से हाफ-डे लीव ली है, अपने पति, आकाश, को भी बोला था हाफ-डे में ही घर आने के लिए। कारण उन्हें नहीं बताया था, बस बाद … Read more

मां का प्यार – ऋतु गर्ग

घर में सबसे छोटी चुलबुली रीता को मां का गुस्सा करना एकदम भी अच्छा नहीं लगता था। छोटी-छोटी बात पर टोकना और साफ सफाई का ध्यान रखना मां के व्यवहार में शामिल था।  रीता की मां अनपढ़ थी लेकिन समझदार काफी थी हिसाब किताब तो जैसे उंगलियों पर ही आता था। हमेशा अपने व्यवहार से … Read more

माँ से माँ तक – गोविन्द गुप्ता

आसमान में तारे गिनती सुकन्या ईश्वर से कह रही थी कि मेरे किस जन्म की सजा आपने मुझे दी कि मुझे शादी के 10 वर्ष बाद भी कोई औलाद नही दी,और बस 2 बूंद आंसू छलके जमीन पर गई पड़े , यही क्रम विवाह के एक वर्ष बाद से हर रात चल रहा था,डॉक्टरों का … Read more

ममता का रिश्ता – कंचन श्रीवास्तव

ये कोई कहने की बात नहीं है कि जब दिन गर्दिश भरे हो तो कोई साथ नहीं देता,चाहे खून का ही रिश्ता क्यों न हो। कभी कभी सोचता हूं रिश्ता तो खून का ही मां के साथ भी होता है फिर वो क्यों नहीं बदलती। मुझे अच्छे से याद है जब हम चारों भाई बहन … Read more

मेरी रोज़ -रीता मिश्रा तिवारी

रुक जा तराना ! हम कह रहे हैं भला मन से रख दे नाहीं तो … नाही तो का ज़रा पकड़ कर दिखाओ ही ही ही कर तराना जो लेना था वो लेकर भाग गई । दीनू चिल्लाता रहा अरे कोई पकड़ो उसे, उफ्फ मेरा पचास रुपए का नुकसान कर दिया । एक न एक … Read more

संघर्ष…. सुधा सिंह भाग 1

रवि बालकनी में बैठा लॉन में खेलते बच्चों को बड़े ध्यान से देख रहा था कितने खुश थे ! सब बच्चे एक अजीब सी चमक थी  सबके चेहरे पर मानो  दुनिया से बेखबर किसी की भी परवाह नहीं बस लक्ष्य था केवल जीतना! कोई बॉल खेल रहा था कोई छुपन छुपाई खेल रहा था !उनकी … Read more

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