वीरागंना – रीमा महेन्द्र ठाकुर
वीरागंना – रीमा महेन्द्र ठाकुर आज फिर उदास बैठी थी “कर्णिका, कोई रास्ता न बचा धा। भाग निकलने का, राजा साहब बन्दी बना लिए गये थे “गौरवमय इतिहास धूल धूसरित हो चुका था। पर अब नारी सम्मान की बात थी। राजकुमारी कर्णिका पीछे हटने वालो मे से न थी। वो साहस के साथ उठ खडी … Read more