बूढ़ी अम्मा – सरला मेहता

शीतला सप्तमी होने से सास बहू नहा धोकर रात में ही रसोई में जुट जाती हैं। पूड़ी सब्ज़ी, दही बड़े, गुलगुले आदि भोग के लिए अलग रख दिए हैं। नौकरी पेशा बहू भलीभांति सासू माँ के आदेशों का पालन करती है। पिछली बार चुन्नू को चेचक के प्रकोप से देवी माँ ने ही बचाया, ऐसा … Read more

मेरे भाई पिता से बढ़कर- हेमा दिलीप जी सोनी

आज की यह कहानी मेरी सर्वप्रथम रचना है जिसे मैं खुद से ही शुरुआत करती हूं। हम पांच भाई बहन हैं, मेरे से बड़े दो भाई फिर मैं बाद में एक भाई, और उससे छोटी एक बहन! मेरे बड़े से मैं 6/7साल छोटी हूं, मेरी मां बताते है कि जब मेरा जन्म हुआ तो मेरे … Read more

भाई का प्यार- रीटा मक्कड़

रामप्यारे ने अपने बड़े भाई रामप्रसाद से बात करने के लिए बहुत बार उसका फोन मिलाया लेकिन हर बार उसका फोन बंद दिखा रहा था।रामप्यारे मेहनत मजदूरी के सिलसिले में शहर में रहता था और दिहाड़ी मजदूर था।उसका भाई गांव में रहता था और वहीं पर दूसरों के खेतों में मजदूरी करके अपना परिवार पाल … Read more

हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते.. पार्ट १ -मीनाक्षी सौरभ

बाहर लगातार बारिश गिर रही थी। मानसी को ये बरसते बादल बहुत रिझाते हैं, उसे इनमें ख़ूबसूरती दिखती है,वो कहती है कि बारिश से सब मैल धुल जाता है, साफ़ और सुंदर दिखने लगता है पर मुझे तो लगता है कि ये बरसकर अपने मन का कोई बोझ हल्का करते हैं। इनको हल्का होते हुए … Read more

अलार्म – कंचन श्रीवास्तव

आज जाने क्यों नींद आंखों से कोशों दूर है , कुर्सी पर बैठा बैठा पनामा की कितनी डिब्बियां खाली कर चुका हूं पर यादें है कि ठहरने का नाम नहीं ले रही , बिस्तर में जाऊं भी तो जाऊं कैसे ये तो जैसे काट खाने को दौड़ रहा। इससे पहले कभी इतनी बेचैनी महसूस नहीं … Read more

पीपल का पेंड – गोविन्द कुमार गुप्ता,

दादा यह क्या कर रहे हो राजन ने अपने दादा को गड्ढा खोदते देखा तो उत्सुकता बश  पूँछ लिया , दादा शिवकुमार बोले राजन यहाँ पीपल का पेड़ लगाएंगे खूब छाया होगी आराम से चारपाई डालकर सोया करेंगे खुली हवा में और ऑक्सीजन भी बहुत मिलती है, गर्मी में कहीं भी धूप नही आयेगी हमारे … Read more

बड़ा भाई भी पिता समान होता है –  नीरजा कृष्णा

माँ की अचानक मृत्यु के बाद घर में शोक का माहौल था। सब काम निपट चुका था। रिश्तेदारों की वापसी हो रही थी। दोनों बहनों को भी अगली सुबह निकलना था। रात में एक  साथ बैठ कर वो दोनों बातें कर रही थीं। सुनीता दुखी होकर कहने लगी,”जब पापा गए थे ,तब इतना बुरा नहीं … Read more

“खूनी चिट्टी” – दीपा साहू “प्रकृति”

तुझे जब देखा पहली दफा, उसी वक़्त मुहब्बत का एहसास हुआ था काव्या के आँखो में आंसुओं का नामोनिशान नहीं था।बस नज़र भर उस तिरंगे से लिपटे ताबूत को देख रही| तभी पीछे से जवान आए,और कहा-कमांडो लीडर आहान अख़्तर ने अपने आख़िरी साँसों में ये लिफ़ाफ़े आपके नाम दिए थे, मैम इसे रखें।    काँपते … Read more

प्रण अपने अपने – प्रतिभा गुप्ता 

नायरा के विवाह के पांच वर्ष बाद छोटी बेटी मायरा के विवाह की बात उठी तो उसने पहले पढाई पूरी कर आत्मनिर्भर बनने की जिद ठान ली. माता पिता को उसकी इस जिद को मानने के लिए मायरा ने किसी तरह राजी कर भी लिया.अब मायरा अपनी मंजिल को पाने के लिए पूरी तरह जुट … Read more

कर्ज़ – गरिमा जैन

रात में जंगल में हल्की सी हलचल थी।। वहाँ से जाते हुए एक राहगीर ने कुछ लोगों को देखा तो वह रुक  गया ।। उसे किसी अनहोनी की आशंका हुई ।। वहां तीन  कम उम्र के लड़के थे और एक अधेड़ उम्र का आदमी ।। वह चारों किसी गहन बात पर चर्चा कर रहे थे … Read more

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