कटहल का पेड़ – भगवती सक्सेना गौड़
अक्षरा कई वर्षों के बाद मई के महीने में मायके आयी थी। सबलोग बड़ी आवभगत कर रहे थे, भई अकेली बिटिया थी, परिवार की, ये तो होना ही था। चाचा के दो बेटे थे, चाची भी दिनभर में कई बार विभिन्न पकवान बना कर उसे खिलाने आती थी। फिर भी, पापा की नजरें उंसकी उदासी … Read more