मां से बढ़कर एक माँ (भाग 2)- मुकेश पटेल : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : कुछ महीनो बाद मौसी की शादी तय हो गई।  लड़के वाले मौसी को देखने आने वाले थे। जब सब लोग आ गए तो  मौसी सबके लिए चाय लेकर आई। सब लोगो ने  मौसी को पसंद कर लिया।  मेरे नाना जी और मौसी के होने वाले ससुर बात कर रहे … Read more

मां से बढ़कर एक माँ (भाग 1)- मुकेश पटेल : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : सुबह-सुबह किचन में चाय बना रही थी तभी मेरे पति ने आवाज दी, “रमा देखो तुम्हारे माँ का फोन आ रहा है।”  मैंने आश्चर्य से कहा, “माँ का फोन इतनी सुबह सुबह जरूर कोई बात होगी, मन में एक डर सा हो गया क्योंकि पापा कई दिनों से बीमार … Read more

मैं इस घर की बहू हूँ नौकरानी नहीं : Short Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories in Hindi : सारिका बचपन से ही होनहार थी देखने में तो सुंदर थी ही साथ ही  उसे स्टाइलिश कपड़े पहनना भी पसंद था वह अपने आपको हमेशा स्टाइल में ही रखती थी  वह बड़ी होकर फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी।   पिता को यह सब चीजें पसंद नहीं था उनका मानना यह … Read more

 ज्योति की ज्वाला – पूनम अरोड़ा 

      यहाँ  उल्लेख  किए गए पात्रों  के नाम और स्थान काल्पनिक  हैं लेकिन  मनोभाव सत्य । अपने नाम  की तरह  ही खूबसूरती की प्रभा को उज्जवलित  करती ,दामिनी के समान स्फुरित चमक  की लहक से उदीप्त,  अनुपम, अद्भुत  सौन्दर्य  की स्वामिनी  थी “ज्योति” । साधारण सी आय वाले साधारण सी माता पिता की इकलौती संतान थी … Read more

बूढ़े माता-पिता अच्छे नहीं लगते – शुभ्रा बैनर्जी | motivation story in hindi

रागिनी अपनी ननद के बेटे के उपनयन संस्कार में दिल्ली आई थी। सास-ससुर एक महीने पहले ही आ चुके थे।सास को इस अनुष्ठान के विधि-विधान का अच्छा अनुभव था, इसलिए ननद ने जल्दी बुलवा लिया था।दस साल पहले रिटायर हो चुके ससुर के पास जमा-पूंजी के नाम पर कुछ विशेष नहीं बचा था।उनके घर का … Read more

आक्रोश –  अमित रत्ता

कहते हैं आक्रोश अक्ल को खा जाता है आक्रोश आबेश में उठाए कदम की सज़ा कई पीढ़ियों को भुगतनी पड़ती है। पलभर का आक्रोश पूरी जिंदगी तबाह कर जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था इस परिवार के साथ। कहानी है एक मध्यम बर्गीय परिवार की जिसमे माता पिता और दो भाई थे। एक कि … Read more

पछतावा  – उमा वर्मा

 तुम को गये हुए आठ महीने बीत गए लेकिन एक पल भी ऐसा नहीं था जब तुम्हारी याद नहीं आई हो।कल अमावस्या था और जब जब अमावस्या आता है तो मेरी बेचैनी बढ़ती  जाती है ।क्या करें ।लोग कहते हैं कि अमावस्या को जब कोई जाता है तो बहुत अच्छा होता है ।पता नहीं क्या … Read more

एक अजनबी दोस्त – डॉ पारुल अग्रवाल

अपराजिता एयरपोर्ट पर बैठी अपनी उड़ान का इंतजार कर रही थी। नितांत अकेली, बस कोई साथी था तो उसके मन में उठने कई सारे ख्याल। उसके दिमाग में कभी कुछ चलता,तो कभी कुछ। यहां कहने को तो वो अकेली थी पर ये अकेलापन शायद अब उसका सबसे अच्छा साथी था क्योंकि ये उससे कुछ सवाल … Read more

तुम पराया धन नही मेरा स्वाभिमान हो – अनुपमा

शुभी का फोन बज रहा था , उठा ही नही पा रही थी , सुबह सुबह इतना काम होता है ना घर मैं ,आकाश देख भी रहा था फिर भी उसने न ही तो फोन देखा न ही उसे लाकर दिया । खैर फ्री हो कर शुभी ने अपना फोन चेक किया सबसे पहले , … Read more

और तूफान थम गया – नीरजा कृष्णा #लघुकथा

उनके घर में आज बहुत खुशी का माहौल था। उनके छोटे भाई आमोद का विवाह था। माता पिता की अकाल मृत्यु के पश्चात वो और उनके सह्रदय पति विशाल जी ने छोटे से आमोद को गले से लगा लिया था…अब वोही दोनों उसके माँ बाप बन गए थे….उन्होनें उसे दिल से अपनाया था। उसके प्रति … Read more

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