” ढहते मर्यादा के बांध ” – डॉ. सुनील शर्मा

तटबंध कितने भी सुदृढ़ हों, यदि कहीं एक जगह भी कमज़ोरी हो, तो सैलाब को फैलते देर नहीं लगती. ऐसे में विनाश अवश्यंभावी है.   नीता को जब बॉस ने आउट आफ टर्न प्रमोशन की सूचना दी तो वह विश्वास नहीं कर पाई. एम बी ए करने के बाद आकांक्षाओं से भरी नीता ने बड़े … Read more

गुस्से और खुशी में जुबान की  मर्यादा जरूरी है। – स्मिता सिंह चौहान

आजकल कहां सच्चे रिश्ते मिलते हैं,मुंह के आगे कुछ और पीठ पीछे कुछ और होते हैं।”मीनू ने अपनी बुआ से रिश्तो के ऊपर अपने विचार रखते हुये कहा। “ऐसा नहीं है,बस आजकल मैं बड़ा ,मैं बड़ा वाली भावनाओं का बोलबाला ज्यादा है ।रही बात आगे कुछ और पीछे कुछ और वो शायद हर कोई एक … Read more

अपनो की कीमत – माता प्रसाद दुबे

चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। शहर के हर गली मोहल्ले में वीरानी छाई हुई थी। लोग अपने घरों में कैद हो गए थे। महामारी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी थी। ऐसी स्थिति में भी प्रकाश को रोजाना अपने कार्य स्थल पर जाना पड़ता था। वह रेलवे में स्टेशन अधीक्षक के पद पर कार्यरत … Read more

 पेंटिंग  – विनय कुमार मिश्रा

“तुम नमिता रस्तोगी को कैसे जानती हो? और इनके साथ ये आदमी?” मैं उससे उसकी बनाई पेंटिंग के बारे में पूछ रही थी।कल एग्जीबिशन में इन बच्चों की पेंटिंग्स ही लगने वाली है। वो दूसरे पेंटिंग्स को बनाने में लगी थी। मैं उसे देख आश्चर्यचकित थी। ये तो कभी मिली भी नहीं उनसे। मैं खुद … Read more

अपने तो अपने होते हैं! – वर्षा गर्ग

एक रिश्ता प्यार भरा ! उच्च शिक्षित अच्छी नौकरी कर रही निवेदिता ने अपने सहपाठी नीरज से विवाह की बात कर हम सभी को चौंका दिया। मेरी बचपन की बहुत प्यारी सहेली गीतांजलि की बेटी है निवेदिता,जिसे हम सभी प्यार से निवी पुकारते हैं। इकलौती बेटी , जुटजिसके माता पिता दोनों ही क्लास वन गजेटेड … Read more

कशमकश – पूनम अरोड़ा

रिया और अनिकेत के विवाह को आज एक वर्ष पूर्ण हो गया था। खुश होने की बजाय रिया आज अधिक उदास थी । उसे आशा थी कि आज के खास दिन तोनिकेत उसकी भावनाओं को समझेगा व  सानिध्य  और आत्मीयता के कुछ पल उसे उपहार स्वरुप जिसके लिए उसका मन वर्ष भर तृषित रहा । … Read more

आप अपनी मर्यादा मत भूलिए नंदोई जी..! – मर्यादा- कामिनी सजल सोनी

फूफा जी को एयरपोर्ट पर लेने जा रही ट्रैफिक में फंसी रुचि यही सोच रही थी कैसे साल दर साल वक्त गुजरता गया और  वह अपने आप को परिवार के सदस्यों की कसौटी पर सिद्ध करती रही। सिर्फ और सिर्फ सुमित ही तो था जो उसको समझता था पूरे परिवार के विरुद्ध जाकर सुमित ने … Read more

सिर्फ मूर्ति नहीं ,घर की नारी  भी देवी है – सुधा जैन

वसुधा ने अपने परिवार में अपनी मां में जीवन भर एक मर्यादा की  सीमा रेखा में अपने आप को चलते हुए देखा था। प्रतिदिन सुबह उठना, घर के काम समय पर करना, सर पर पल्लू रखना, पूजा करना, आने वाले मेहमानों का यथोचित स्वागत करना, सास ससुर के निर्देशों का पालन करना, बच्चों की अच्छी … Read more

ऐसी ससुराल से तो बेटी घर में भली…. – चेतना अग्रवाल

बड़े भागो वाली है हमारी बेटी… बहुत बेस्ट खानदान से रिश्ता आया है उसके लिये। सबसे बड़ी बात उसके रूप गुणों पर रीझकर खुद से रिश्ता माँगा है। मैं ना कहती थी कि हमारी लाड़ो को तो कोई भी माँग लेगा।” निरूपमा जी घर में घुसते ही बोलीं। “क्या हुआ अम्मा… क्यों इतना शोर मचा … Read more

अपने ग़लतियों सहित अपनाते हैं – सुल्ताना खातून 

“मां मेरे ससुराल के लोग बहुत ही घटिया सोच रखने वाले हैं, बात बात पर मुझे ताने देते हैं मुझसे दिनभर गधों की तरह काम करवाते हैं, किसी को मेरी परवाह नहीं रहती, मां आज मुझे पता चला है, कि मेरा पति शराब भी पीता है और जुआ भी खेलता है, मां शादी से पहले … Read more

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