वापसी ( रिश्तों की) भाग–2 – रचना कंडवाल

पहले भाग में आपने पढ़ा कि बरखा रॉय की बेटी सुनिधि अपने ससुराल से गुस्सा हो कर अपने मायके (रॉय मेंशन ) वापस चली आती है। और कहती है कि अब वो वहां कभी नहीं जाएगी।अब आगे– नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। सोचते हुए बरखा की आंखें भीग गई। आंखों से कुछ बूंदें निकल … Read more

लिव इन रिलेशनशिप बनाम शादी – रेखा पंचोली

वे नारीवादी लेखक थे ।महान लेखक बनना चाहते थे, और एक ऐसी ही तथाकथित नारीवादी फेमिनिस्ट लड़की के प्यार में पड़ गए। दोनों प्रतियोगी परीक्षाएं दे रहे थे ।पर कुछ खास सफलता नहीं मिली । वे अपनी कविता और लेखन के जरिए नारीवाद पर वाहवाही लूटते थे। लड़की शादी के बंधन में बंधना नहीं जाती … Read more

माँ जी….!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आहहह….अताह दर्द से तड़पती हुई  “कौशल्या देवी”  जिन्हें मैं माँ जी कहता था अपने रक्तयुक्त हाथ सीने पर रखे भरी भरी आंखों से मुझे देख रहीं थी. ..दर्द ही दर्द था उनकी आँखों में उसपल..जो आँसूओं का सैलाब..बन बाहर आ रहा था.. हालांकि पलकें मेरी भी भरी थी..दर्द मुझे भी था…आँसू रुकने का नाम नहीं … Read more

डांसर – प्रीती सक्सेना

फेस बुक ऐसा जादू का पिटारा है, ऐसा जिन्न है, जिसमे सब कुछ है, जो चाहो वो निकाल लो , बस इसी कोशिश मे हमने अपनी दो सहेलियां ढूंढ ली जो ग्यारहवीं क्लास से BA तक हमारी सहपाठी थी, फिर क्या हम सब लग गए, और सहेलियों को ढूंढने में, कुछ एक मिल भी गईं, … Read more

अन्तर्मन की गांठ – पुष्पा जोशी 

सूर्यास्त का समय था। सूर्य की लालिमा क्षितिज पर छाई हुई थी। फूलों की सुगंध से वातावरण सुगंधित हो रहा था। पक्षी कोलाहल करते हुए आसमान में उड़ रहे थे। रंग-बिरंगे मेघ अठखेलियां कर रहे थे। मनमोहक वातावरण था,मगर अवनी के मन में बेचैनी थी। जब अंतर्मन उलझा हो, तो बाह्य सारे उपकरण बेमानी लगते … Read more

ख्वाहिश – सीमा बत्रा

“तुम मुझे खिलाओ, मुझसे गिर जाता है न ,फिर ड्रेस गंदी हो जाएगी तो मम्मा गुस्सा होगी”। 23-24 साल की लड़की के मुँह से ये बात सुन ट्रेन में आस पास बैठे लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। उन लोगों में मैं भी एक था। ट्रेन के सैंकड क्लास ए.सी. कोच में बच्चे नहीं … Read more

बॉडी शेमिंग – अनुपमा

संध्या बहुत सुंदर थी , घर मैं सब लोग उसे कहते है आपकी तरह परफेक्ट कोई भी नही है । सही लंबाई , सही आकार और सुंदर चेहरा और बाल साथ ही सर्वगुण संपन्न , ये है संध्या का परिचय , नई नई शादी हुई थी ,सब खूब तारीफ करते संध्या की । उसका पति … Read more

सुनो बसंती रे…. काहे सताए आ जा.. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

कहते हैं इंसान जब अंदर से टूट जाता है तब बाहर से खामोश हो जाता है…अंदर शोर तो बहुत होता है पर बाहर हर तरफ मौन पसरा रहता है…मेरी हालत भी आज़ कल कुछ ऐसी ही है..जिंदा लाश ..बना हर पल तुम्हारे न होने की वजह ढूँढता रहता हूँ…. कैसे कहूँ…एक तुम्हारा होना क्या से … Read more

छोले-भटूरे: – मुकेश कुमार

रौनक सुबह जब बेटी को स्कूल छोड़ने जा रहा था तब पहली बार सुना “आज छोले-भटूरे बनाना मम्मा” उसके बाद तो पुरे दिन भर वही बात चलती रही – “चाची आज आपको छोले ही बनाना है सिर्फ़” “भटूरे मम्मा और पापा बना देंगे, तब तक आप छोटी बाबु को सुला लेना, फिर मिल कर खाएँगे” … Read more

बेटा-बेटी होत न एक समाना – डा. पारुल अग्रवाल

पापा के जाने के बाद, जायदाद को लेकर दोनों भाई में झगड़े होने शुरू हो गए। सब अपनी दुनिया में खुश था,कोई अकेला रह गया था तो वो थी मां। दोनों भाई में से मां को कोई रखने को तैयार नहीं था जबकि रचना हमेशा से चाहती थी कि मां उसके साथ रहें। पापा के … Read more

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