ख्वाब,हकीकत – गोविन्द गुप्ता 

बहुत तेज बिजली कड़क रही थी रमन और राम्या अपने रूम में थे दोनो मोवाइल चलाते चलाते सो गये और घुप्प अंधेरा हो गया क्योकि बिजली चली गई, रमन साफ्टवेयर इंजीनियर था और राम्या डॉक्टर दोनो की जिंदगी बहुत खूबसूरत थी ,कोई कमी नही बस कोई बच्चा नही था शादी के दस वर्ष के बाद … Read more

अनोखी सौगात- गोविंद गुप्ता

सचिन एक मध्यम वर्गीय परिवार का संस्कारित लड़का था चार भाई एक बहन में सबसे बड़ा होने के कारण जिम्मेवारियां बहुत थी बचपन से ही सामाजिक कार्यो में रुचि लेने वाले सचिन ने समाज के दर्द को देखते हुये अपने छोटे से कस्वे में सामूहिक विवाह करवाने का निर्णय लिया उस समय सचिन की उम्र … Read more

लौट के बुद्धू घर को आये – भगवती सक्सेना गौड़

एक रिश्ते की ननद की शादी थी, 2005 में, तब मैं यू पी के एक शहर में थी। वैसे तो बेटी बोर्ड के एग्जाम की पढ़ाई में व्यस्त रहती थी, पूरे दिन मैं भी इसी कारण व्यस्त और उनकी खातिरदारी करती रहती थी। पढ़ाई में इतना डूब जाती थी, कि उसे खाने पीने का भी … Read more

अपना गाॅ॑व – माता प्रसाद दुबे

“सुनो जी अब तो ट्रेन चलने लगी है, हम लोग अपने गाॅ॑व चलते हैं?”रमा अपने पति प्रकाश से बोली। “क्यूं क्या हो गया?”प्रकाश रमा को हैरानी से देखते हुए बोला। “अरे ये कहिए की क्या नहीं हुआ बीमारी का डर..लोगों की भीड़..लापरवाह लोग..मुझे हमेशा डर लगता है..आपके और हमारी नन्ही गुड़िया शुभि की सुरक्षा को … Read more

जीवन एक ख्वाब नहीं बल्कि हकीकत है – पुजा मनोज अग्रवाल

माता पिता की इकलौती लाडली बेटी सिम्मी , प्यारी मनमोहक मुस्कान  , संस्कारी, सबके साथ सामंजस्य बिठाने में माहिर , हर कार्य में दक्ष , गुणों की खान थी सिम्मी  । माता पिता को मयंक अच्छे लगे तो उन्होंने छोटी उम्र में ही उसका विवाह कर दिया ।      नव विवाहिता सिम्मी अपनी  आंखों  में रंगीन … Read more

शादी के बाद समझौते तो पति भी करते है। – संगीता अग्रवाल

#बैरी_पिया ” क्या बात है रिया आज ऑफिस आने में देर हो गई तुम्हे ?” रिया की सहेली प्रतीक्षा ने उससे पूछा।  ” हां यार बस थोड़ी देर हो गई घर से निकलने में ये शादी नाम की घंटी गले में लटकाई है ना उसके कुछ तो साइड इफेक्ट्स होंगे ही !” रिया गुस्से में … Read more

महक का रिश्ता – तृप्ति उप्रेती

आज बहुत अरसे बाद मेहरा निवास में खुशियों ने दस्तक दी थी। परेश मेहरा और उनकी पत्नी विभा मेहमानों का स्वागत कर रहे थे। उनकी आंखों में बसी गहरी उदासी किसी से छुपी नहीं थी लेकिन उन्होंने अपने दर्द के साथ जीना सीख लिया था। आज उनके बेटे राज की शादी पूर्वी से होने जा … Read more

बेवाई पैरों की, –  गोविन्द गुप्ता

अर्जुन एक मजदूर था रोज सुवह जाना और अड्डे से  काम की तलाश में निकल जाना यह रोज का कार्य था, तीन बच्चे थे जो छोटे थे, सरकार का स्कूल चलो अभियान चला तो उनका एडमिशन सरकारी स्कूल में हो गया, बड़ा बेटा पढ़ने में तेज था हाईस्कूल की पढ़ाई के बाद कोई स्कूल भी … Read more

आरव – कान्ता नागी

जब से आरव ने जन्म लिया वह घर में उपेक्षित ही था, क्योंकि बचपन से ही वह दूसरे बच्चों की तरह चल-फिर नहीं सकता था।मीनू और उसके पापा अजीत ने उसका बहुत उपचार करवाया।फीजीयोथेरोपी कराने से अब वह वैशाखियों के सहारे ही चल सकता था।जब से उसकी बहन नीलू का जन्म हुआ, माता-पिता का सारा … Read more

समझदारी – कान्ता नागी

गोविन्द और रेखा दोनों जुड़वां भाई -बहन थे।उनके पिता कर्नल विनोद फौजी थे,जबकि उनके जन्म के बाद ही मां गुंजा की मृत्यु हो गयी थी। कर्नल विनोद ने दोनों की परवरिश की। दोनों भाई बहन बचपन से ही होशियार और कुशाग्र बुद्धि होने के कारण अब अपनी मंजिल के करीब पहुंच चुके थे। रेखा का … Read more

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