मायका – नीरजा कृष्णा

“देख विदिशा, इस बार राखी पर तुझे यहाँ आना ही पड़ेगा। भला ये भी कोई बात हुई…भाई की कलाई पर इकलौती बहन की राखी ना सजे।” सुबह सुबह ही मम्मी का फोन आ गया था। उधर वो गहन धर्मसंकट में पड़ी हुई थी। जब जब मम्मी फोन पर आने का आग्रह करतीं…मन तो मायके की … Read more

पोते का सुख – सीमा वर्मा

‘ माँ ,अब आपने यह क्या मसला उठाया हुआ है ? ‘ ‘ क्या हुआ बेटे ? सुबह-सुबह ही तू इतना उखड़ा हुआ क्यों है ? ‘ — चौंक उठी कल्पना  ‘ तो बात बेटे तक पहुँच चुकी है ‘ कल शाम ही की तो बात है। जब कॉलोनी के पार्क में अपनी सहेली वृंदा … Read more

सबक – मीनाक्षी राय

“सबक” एक ऐसी कहानी है  जो एक  मां और बेटी पर  मैंने व्यक्त किया हुआ है| जो आप लोग के सामने में प्रस्तुत कर रही हूँ l आज अपनी समय रहते यदि सरिता ने बिटिया को सच और गलत मे फर्क करना सिखाया होता तो “दीपा” सरिताजी की बेटी अपनी जिंदगी में खुश होती|पर अफसोसयकी … Read more

मान-अपमान – तरन्नुम तन्हा

  मैंने शादी के बाद पूरी ज़िंदगी अपने पति और उनके परिवार के नाम लिख दी थी। घर क्या था, सर्कस था, जिनमें हम जानवर थे, और मेरे ससुरजी रिंगमास्टर। वह सभी को नचाते लेकिन कोई उनके खिलाफ न बोलता था। रसोई की जिम्मेदारी धीरे-धीरे सारी मेरी होती चली गई! सासुमाँ तो बस कभी कमर, … Read more

फूल – विनय कुमार मिश्रा

तेरह चौदह साल की वो बच्ची लोगों के घरों में,पूजा के लिए फूल दे जाती है। अपने बाप का हाथ बंटाती और स्कूल जाती है। मुझसे थोड़ा लगाव सा हो गया है “तू कल फूल क्यूँ नही दे गई? मैं दस बजे तक तेरा इंतजार करती रही” “बापू बीमार हैं ना,अस्पताल लेकर गई थी कल। … Read more

अपनापन – विनय कुमार मिश्रा

अपने किराने की दुकान पर मैं,उस शराबी के खरीदे सामान के दाम को, अपने कैलकुलेटर पर जोड़ ही रहा था कि उसने लड़खड़ाते जुबान से बोला “सात सौ सैंतीस रुपये” मुझे आश्चर्य हुआ। वो आधे होश में था और उसके लिए हुए छोटे मोटे सामान की संख्या लगभग पंद्रह थी। उसके लिस्ट के हर सामान … Read more

माँ ..सी – ज्योति व्यास

*********** लीना और रीना  शर्माजी की प्यारी सी  बेटियां हैं। दोनों  की उम्र में दो साल का अंतर है ।शर्माजी  बैंक में अफसर  हैं  वहीं बच्चियों की मम्मी एक प्रतिष्ठित विद्यालय में  विज्ञान की शिक्षिका हैं । अच्छे संस्कारों के साथ  दोनों पढ़ लिख कर कॉलेज में प्रोफेसर हो गई ।एक विज्ञान की और दूसरी … Read more

बुयाजी -सीमा नेहरू दुबे

वैसे तो अपनी माँ के पास जाना और समय बिताना हमेशा ही अपना एक सुखद अहसास होता है , पर इस बार कुछ खास था l हुआ यु कि हम माँ और बेटी अपनी बातो का लुफ्त ले रहे थे कि तभी घंटी बजी माँ उठ कर बहार देखने गयी और वही से बोली देखो … Read more

नानी हो तो ऐसी – सरला मेहता

बेटी के जन्म की खुशियाँ गम में तब्दील हो गई। पापा तो अपनी परी को बग़ैर देखे ही चल दिए। दुर्घटना ऐसी हुई कि अस्पताल आते समय रास्ते में ही प्राण पखेरू उड़ गए। आँसुओं का सैलाब लिए पति को अंतिम विदाई देने आद्या घर पहुँचती है। वह बेटी को देखना भी नहीं चाहती है।  … Read more

पूजा -घर – नरेश वर्मा

*************** डाक्टर सुशांत थक कर चूर हो चुके थे ।आपरेशन थियेटर से निकल कर डा॰सुशांत सीधे अपने कक्ष में गये और कुर्सी पर निढाल से बैठ गए ।वार्ड-ब्याय को पता है कि आपरेशन से निवृत्त होने के बाद डाक्टर को तुरंत काली कॉफी चाहिए होती है ।पाँच मिनट बाद वार्ड ब्याय उनकी मेज़ पर कॉफी … Read more

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