क्या औरत अपनी पसंद का खाना भी नही खा सकती? – संगीता अग्रवाल

” मम्मी जी आज खाने में कटहल की सब्जी बना लेती हूं आप जरा बाहर सब्जी वाले से ला दे !” पंद्रह दिन पहले ब्याह कर आई रुचि ने अपनी सास नलिनी जी से कहा। ” नही नही कटहल की सब्जी हमारे यहां कोई नही खाता तुम ऐसा करो अपने पापा जी की पसंद की … Read more

कंजूस पापा* – गोपेश दशोरा

ऐसी बात नहीं कि पापा कुछ नहीं दिलाते थे, पर जब भी कुछ दिलाते थे… हे भगवान्! इतनी दुकानों के चक्कर और इतना मोल भाव कि कभी-कभी तो हमें लगता था, कि हमने कुछ मांग कर ही गलती कर दी। छोटी-मोटी दुकानों तक तो ठीक वो तो शॉपिंग मॉल और कम्पनी आउटलेट पर भी भाव … Read more

थ्री इन वन – नीरजा कृष्णा

कामिनी आवाज़ देती हुई अपनी सहेली निशा के घर में घुसी। सामने ही बैडरूम से उसके खिलखिलाने की आवाज़ आई।  किसके  साथ इतनी मस्ती हो रही है, वो ठिठक कर रुक गई थी। “अरी कामिनी, बाहर क्यों खड़ी हो..अंदर आ जाओ।  बहुत मौके से आई हो।” तब तक बहू कविता भी उठ कर उनका हाथ … Read more

जिंदगी इम्तिहान लेती है…. – सुधा जैन

 रक्षाबंधन पर्व पर बेटा शुभम और बिटिया सृष्टि आए हुए है.. हम सब बैठकर बातें कर रहे थे शुभम कहने लगा “आप अच्छा लिखते हो,  और इसलिए सब कुछ अच्छा लिख पाते हो क्योंकि आपका बचपन भी भरा पूरा रहा और प्रभु कृपा से शादी के बाद भी सब कुछ अच्छा है” लेकिन सभी के … Read more

नशा और फरिश्ता – अनामिका मिश्रा 

नरेश पढ़ा लिखा अच्छा इंसान था। पर गलत संगति में पड़कर नशा का आदि हो गया था। अपनी योग्यता का उसे जरा भी ध्यान नहीं रहा।  दो बेटे थे। पर कुछ काम धंधा नहीं करता था। जो कर रहा था उसने वह भी छोड़ दिया। भैया भाभी ने भी पल्ला झाड़ लिया। कब तक पैसे … Read more

दुविधा – रीटा मक्कड़

आज बहुत सोच में पड़ी थी मीता और अजीब सी कशमकश ओर दुविधा में भी फ़स गयी थी अभी चार दिन पहले की बात थी उसकी दोनो बड़ी वाली ननदें आयी हुई थी। सब लोग आराम से अंदर बैठ कर बातें कर रहे थे। मीता रसोई घर मे उनके लिए चाय नाश्ते की तैयारी में … Read more

ना बेटा बुरा ना बेटी – संगीता अग्रवाल

“पापा आप अकसर अखबार पढ़ते मे मुस्कुरा कर मुझे प्यार क्यों करने लगते हैं.” आठ साल की बुलबुल ने अपने पापा रवि से पूछा. ” कुछ नही लाडो बस ऐसे ही जा तू स्कूल जा, अच्छे से पढ़ना.” रवि ने बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा. ” बेटी को ना सही हमे तो … Read more

“सासु वही जो बहू मनभाए” – सीमा वर्मा

“अम्मा ममतामयी तो हैं ना? उन्हें गुस्सा तो नहीं आता ?” ” तुम गलत सोच रही हो ,वह जितनी ममतामयी हैं, उतनी ही कड़क भी “। छह साल की उम्र में ही माँ को खो चुकी शगुन की सारी आशाएं तुषार की अम्मा पर ही टिकी हैं। मां की प्यारी सी तस्वीर तुषार ने डाइनिंग … Read more

*चाचाजी और मारिए मुझे* – ओम

#मन_के_भाव   मैं चौथी क्लास में था ,तभी मेरे पिताजी का स्वर्गवास हो गया और हमसब,मैं ,बड़े भैया और मां अपने चाचाजी के घर रहने लगे।चाचाजी का परिवार काफी छोटा था।परिवार में चाचाजी,चाचीजी और उनका एक साल का बेटा।चाचाजी बहुत बड़े बिजनेस मैन थे,और बहुत दबंग स्वभाव के थे।काफी मेहनती, सामाजिक और कड़क स्वभाव वाला … Read more

नया पन्ना  – डा. मधु आंधीवाल

#ख़्वाब मां आज मेरा फाइनल इन्टरव्यू है आज तो कुछ बोलो मां केवल तुम्हारे बोल सुनने को मैं तरस गयी । मां पापा और सब परिवार वालों की सजा मुझे क्यों दी मां ? ये एक विनती उस यौवना की थी जिसका नाम युविका था । वह मौन साधिका अपूर्व सुन्दरी कभी यौवनावस्था में चांद … Read more

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