जैसी भी हो मेरी ज़िन्दगी की हीरोइन हो – रश्मि प्रकाश

#ख्वाब हर महिला की तरह रमा भी बस एक ही ख़्वाब देखती रहती थी छरहरी काया की मालकिन हो और पति बस उसपर लट्टू हुआ रहे पर इन दिनों रमा को लग रहा था वो पहले जैसी नहीं दिख रही और फिर क्या जब देखो खुद को शीशे में निहारती रहती । आज भी अपने … Read more

सयानी – नीरजा कृष्णा

वो ऑफ़िस से लौटी। हमेशा की तरह घर में लड़ाई झगड़ा मचा हुआ था। धड़कते दिल से घुसी…वही रोज वाली किचकिच… अम्माँ सलोनी के पीछे पड़ी थीं,”जरा उठ जा ।थोड़ी मेरी मदद कर दे। अभी शालू थकी हारी आएगी, उसके लिए कुछ नाश्ता बनवा ले। सुमित भी दो बार कुछ खाने को माँग चुका है। … Read more

 डर…  – हरेन्द्र कुमार

सुजीत 8 बजे सुबह घर से ऑफिस के लिए निकला, उनकी श्रीमती मधु ने आवाज लगाई : – प्याज के साथ हरा मिर्च भी डाल दिया है टिफिन में, दो रोटी और राजमा भी। आज कल खाया नहीं जा रहा था सुजीत से दो रोटी भी। पिछले कुछ दिनो से सुजीत गुमसुम बैठा रहता था, … Read more

मदद – पुष्पा कुमारी “पुष्प

“शोभा बिटिया!.कब आई ससुराल से?” दो घर छोड़कर पड़ोस में रहने वाले कुंती काकी ने दरवाजे पर कदम रखते ही सामने रसोई में अपनी भाभी की मदद करती शोभा को देख टोक दिया। “आइए बैठिए काकी!.शोभा कल ही अपने ससुराल से आई है।” शोभा की मांँ कुंती काकी को देख खुश हुई और वहीं पड़ी … Read more

बस इतना सा ख्वाब है – नीरजा कृष्णा

आज मोहन के स्कूल में वादविवाद प्रतियोगिता आयोजित थी।सभी बच्चों को अपने अपने सपनों को बुनने और उन पर चर्चा करने के लिए मैदान उपलब्ध कराया गया था। प्रत्येक बच्चे को पांच मिनट के समय मेंअपने सपने…अपने ख्वाब में रंग भरने हैं ….अपनी कल्पना की कूची चलानी थी।   सबके बड़े बड़े ऊँचे ऊँचे ख्वाब … Read more

छत वाला प्यार – रीटा मक्कड़

आज भी वो दिन आंखों के सामने एक चलचित्र की भांति घूमते रहते हैं।जब लोगों का प्यार छत्तों पर परवान चढ़ा करता था। तब आज की तरह एक दूसरे से बात करने को फोन तो होते नही थे। कि जो अच्छा लगे जल्दी से उसको संदेश भेज दो या फिर फोन करके अपने दिल की … Read more

ख्वाब – वंदना चौहान

बारात में जा रहा है, ज्यादा उछल-कूद मत करना और हाँ नशा करके डांस करने वालों से दूर ही रहना, अपने मामा के आसपास ही रहना । अगर कोई गड़बड़ की तो टाँग तोड़ दूँगी तेरी ।   माँ की कड़कड़ाती आवाज सुनकर पिंकू थोड़ा सहम गया फिर उसने धीरे से कहा-  हमेशा डाँटती रहती हो … Read more

माल्यार्पण – गोमती सिंह

************* आज उसका मन ब्याकुल होनें लगा अकुलाने लगा ।उसके मन में ये बात आ रही थी कि क्यों न कोई गोली खा लूँ,  जिससे कहानी फटाफट लिखी जा सके ।लेकिन कहानी लिखने की कोई गोली नहीं खाई जाती है, ये तो अनुभव की मोती होती है, जिसे शब्दों की लङियों में पिरोकर वास्तविकता की … Read more

अपना घर – भगवती सक्सेना गौड़

रवीना के रिटायरमेंट का दिन था, फेयरवेल के लिए आफिस आयी थी। माधवी ने आकर गले मे फूलों का हार डाला, और तालियों की गूंज उंसकी आंखों में धुंधलापन ले आयी थी। आफिस के हर कलीग ने उंसकी तारीफ में दो शब्द कहे। फिर सबसे बिदा लेकर वो अपनी कार में घर जाने को बैठ … Read more

ख्वाब बनकर रह गया : माताजी का घर – गुरविंदर टूटेजा

अप्रकाशित     छोटा सा गाँव वहाँ माताजी का भरा-पूरा परिवार…लोग कहते थे स्वर्ग देखना है तो माताजी के घर चलें जाओ…सच स्वर्ग ही तो था जो इतनी आसानी से लुप्त हो गया…!!   पिताजी-माताजी के तीन बेेटे व एक बेटी सबके अपने परिवार बड़े बेटा-बहू के चार बच्चे…दो बेटे व दो बेटियाँ ….मँझले बेटा-बहू के दो बच्चे…एक … Read more

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