अतीत का साया – अनुपमा 

भैरवी के पति का ट्रांसफर हुआ तो वो अपने पति के साथ कानपुर आ गई , बहुत अनमने मन से उसने सारी पैकिंग की थी ,बिलकुल मन नहीं था उसका यहां आने का , अच्छी खासी कॉलोनी मैं सेटल हो गई थी वो आगरा मैं , टीचर की जॉब भी थी उसको ,अपनी बनी बनाई … Read more

मैं भी परी थी पापा की* – अर्चना नाकरा

राशि को  घर आने में थोड़ी देर हो गई थी सुबह का सारा काम समेट कर गई थी खाना पीना बच्चों का नाश्ता सब व्यवस्थित करके गई थी रह गई थी तो गरमा गरम उतरती रोटी !! सासू मां के दांतो की परेशानी के चलते उन्हें उतरा उतरा फुल्का ही पसंद था इसी बात पर … Read more

उम्मीद –  डॉ अंजना गर्ग

तनु को इस शहर में नौकरी ज्वाइन किए 2 साल होने को थे। मां बाबा के साथ वह तब से ही फ्रेंड्स कॉलोनी के फ्लैट में रह रही थी उसकी दुनिया दफ्तर और स्मार्टफोन तक सिमटी हुई थी। कई बार तनु की मां जय श्री उसे कहती कि आसपास वाले लोगों को कभी कभी मिला … Read more

मुक्ति… – डा.मधु आंधीवाल

 शुभा जैसे ही बिस्तर पर लेटी रात के 12 बजे थे । फोन की घन्टी घनघनाने लगी ।  डा. जोशी बोल रहा हूँ आप आईये अजय की तबियत अधिक खराब है उसको फिर दौरा पड़ा है।        शुभा हास्पिटल भागी वह सोच रही थी उसकी जिन्दगी भी बचपन से ऐसे ही भाग रही है।  वह अतीत … Read more

ज़िन्दगी में खुश रहना है तो – रश्मि प्रकाश

पता नहीं ये ज़िन्दगी भी जाने क्या क्या रंग दिखाती है … ये उतार चढ़ाव.. कभी ख़ुशी तो कभी गम दे जाती है… और ये बारिश भी आज यूँ झमाझम बरस रही है मानो मेरे आंसुओं के सैलाब को अपने साथ बहा ले जाना चाहती हो…मैं इन्हीं सब ख़्यालों में खोई थी की मेरे कंधे … Read more

हाय रे ये पार्टी  – पूजा मनोज अग्रवाल

पतिदेव बालकनी मे बैठे चाय की चुस्कियों का आनन्द लेते हुए अखबार पढ रहे थे,,,,अजी सुनती हो ,,,, इधर आओ,,। अपनी सुबह की चाय का कप लेकर हम भी पतिदेव के साथ चाय पीने बैठ गये   । अखबार मे नजरें गडाए हुए ही  पतिदेव बोले ,,”” ,,,परसो मिश्रा जी का कॉल आया था,,,  सोमवार … Read more

 *छल* –  किरण केशरे

 कुमुद आज बहुत गिलटी फील कर रही थी ; एक ऐसी बात की, जिसकी जिम्मेदार वह बिल्कुल नही थी । आज सरिता की सगाई थी, होटल श्री माया से लेकिन उसने उसे इनवाइट नही किया था ! उसकी सबसे प्यारी सखी उसे याद आ रही थी वो शाम जब वह सरिता से कैमेस्ट्री के नोट्स … Read more

भीड़ – श्रीमति पुष्पा ठाकुर

अश्विन जी आज रोज से कुछ ज्यादा ही लेट हो रहे थे ,कल की मीटिंग की जानकारी जो बनाना था ।पत्नी निशा बार बार उन्हें ऑफिस से जल्दी निकलने की बात कह रही थीं और वो हर बार बस एक ही जवाब दे रहे थे – ‘हां बस पांच मिनट ‘ आखिर किसी तरह साढ़े … Read more

क्या औरत अपनी पसंद का खाना भी नही खा सकती? – संगीता अग्रवाल

” मम्मी जी आज खाने में कटहल की सब्जी बना लेती हूं आप जरा बाहर सब्जी वाले से ला दे !” पंद्रह दिन पहले ब्याह कर आई रुचि ने अपनी सास नलिनी जी से कहा। ” नही नही कटहल की सब्जी हमारे यहां कोई नही खाता तुम ऐसा करो अपने पापा जी की पसंद की … Read more

कंजूस पापा* – गोपेश दशोरा

ऐसी बात नहीं कि पापा कुछ नहीं दिलाते थे, पर जब भी कुछ दिलाते थे… हे भगवान्! इतनी दुकानों के चक्कर और इतना मोल भाव कि कभी-कभी तो हमें लगता था, कि हमने कुछ मांग कर ही गलती कर दी। छोटी-मोटी दुकानों तक तो ठीक वो तो शॉपिंग मॉल और कम्पनी आउटलेट पर भी भाव … Read more

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