अनोखा रिश्ता – के कामेश्वरी

कमली अपनी माँ के पार्थिव शरीर के पास बैठकर को रही थी । उसका इस दुनिया में माँ के सिवा कोई नहीं था । अब माँ के चले जाने से वह बहुत अकेली पड़ गई थी । कमली सुंदर जवान और अठारह साल की बच्ची थी। गली के सारे मर्द उससे  हमदर्दी जता रहे थे … Read more

नेकी** – रंजना बरियार

निशा की आँखों से अनवरत आँसू बहे जा रहे थे.. वो चुपचाप रोटी बेलती जा रही थी!अंकल के खाने का समय हो गया,वो डायबेटिक हैं उनके हर डायट का समय निर्धारित जो है। आंटी नाराज़ होंगी उन्हें समय पर खाना  नहीं मिलने पर! निशा वनिता आँटी के घर आया का काम करती है ।वनिता आंटी … Read more

“अलबेली” – सीमा वर्मा

“उठ जा री अलबेली, सुबह के सात बज रहे हैं। अब क्या सारा दिन सोती ही रहेगी ?” “अभी घर के भी सारे काम पड़े हुए हैं “। “उफ्फ ये अम्मा भी ना ठीक से नींद भी नहीं लेने देती है।” “कभी-कभी तो लगता है मेरा जन्म ही काम वाली बनने के लिए हुआ है। … Read more

ताली एक हाथ से नहीं बजती – नीरजा कृष्णा

“मम्मी जी!ताली कभी भी एक हाथ से नहीं बज सकती है, ये कह कर मैं छोटे मुँह बड़ी बात कर रही हूँ , क्यों कि आप मुझसे हर बात में बड़ी हैं…उम्र में भी और तजुर्बे में भी।” सरला जी नेहा की बात सुन कर बहुत चौंक गई,” नेहा बेटी! क्या हो गया ? अचानक … Read more

पगला बंदा – श्रीप्रकाश श्रीवास्तव

पगला बंदा को मुन्नीबाई से एकतरफा प्यार हो गया। प्यार तो प्यार भले ही एकतरफा क्यों न हो? सच्चे आशिक को अपनी माशूका की एक झलक ही काफी होती है। वह मुन्नीबाई की एक झलक के लिए ही प्यासा था। खबर लगती कि फंलाने गांव में मुन्नीबाई का नाच होने वाला है। वह बेचेैन हो … Read more

समझौता एक्सप्रेस… – विनीता राहुरीकर : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “वह नए वाले बिस्किट तो ले आओ जरा जो मैं परसों लेकर आया था, देखें तो क्या खास है उसमें दुकान वाला तो बड़ी तारीफ कर रहा था उनकी” रोहित ने चाय का कप उठाते हुए कहा। “इतने बिस्किट तो रखे हैं ट्रे में लेकिन तुम्हें हर बार वही चाहिए … Read more

बचत – गरिमा जैन

हमारे रिश्ते को जैसे किसी की नजर लग गई थी एक जमाने में लोग हमें सास बहू नहीं बल्कि दोस्त कहा करते थे हाथ में हाथ डाले हम बाजार में ऐसे घूमते जैसे कितनी पक्की सहेलियां है ना मेरी बहू कभी मेरी बात काटती और मैं भी हमेशा छोटी-छोटी बातें  दिल में नही रखा करती … Read more

राखी – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

“माँ…सुबह-सुबह क्या खटर -पटर कर कर रही हो किचेन में?” “अरे बेटा कुछ नहीं, तू बहन के घर जा रहा है…सोचा कुछ अच्छा बना देती हूं ले जाने के लिए। दो-दो खुशियां हैं इसीलिए। “दो दो खुशियां?” “हाँ और नहीं तो क्या! एक तो राखी का दिन और दूसरा एक साल बाद तू बहन के … Read more

जैसी भी हो मेरी ज़िन्दगी की हीरोइन हो – रश्मि प्रकाश

#ख्वाब हर महिला की तरह रमा भी बस एक ही ख़्वाब देखती रहती थी छरहरी काया की मालकिन हो और पति बस उसपर लट्टू हुआ रहे पर इन दिनों रमा को लग रहा था वो पहले जैसी नहीं दिख रही और फिर क्या जब देखो खुद को शीशे में निहारती रहती । आज भी अपने … Read more

सयानी – नीरजा कृष्णा

वो ऑफ़िस से लौटी। हमेशा की तरह घर में लड़ाई झगड़ा मचा हुआ था। धड़कते दिल से घुसी…वही रोज वाली किचकिच… अम्माँ सलोनी के पीछे पड़ी थीं,”जरा उठ जा ।थोड़ी मेरी मदद कर दे। अभी शालू थकी हारी आएगी, उसके लिए कुछ नाश्ता बनवा ले। सुमित भी दो बार कुछ खाने को माँग चुका है। … Read more

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