इकलौता – विनय कुमार मिश्रा

माँ कुछ परेशान हो कब से इधर उधर देख रही थीं, कभी न्यूज पेपर हाथों में लेती, थोड़ी देर उसे देखती फिर रख देती। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी पापा को देखा, वे भी कभी दीवार घड़ी को कभी दीवार पर लगे पेंटिग्स को गौर से देख रहे थे। आज दोनों का … Read more

 बारिश वाली वो रात” – सीमा वर्मा

फैरेडे हॉस्टल का कमरा नं. छब्बीस मेहुल और हमीदा दोनों बेखबर सोई हैं।रात के करीब पौने बारह बज रहे हैं। अचानक एक धमाका-बिजली की कड़क से मेहुल हड़बड़ा कर उठ बैठी। बाहर जोर से बिजली चमक रही है। बादल गरज रहे हैं। साथ ही उसका दिल भी बुरी तरह धड़क रहा है। मेहुल ने माथे … Read more

ख़्वाब – निभा राजीव 

नन्हीं रुचिका तूलिका लेकर कैनवास पर मनचाहे रंग भर भर कर चित्रकारी का प्रयास कर रही थी पर बार-बार कुछ ना कुछ त्रुटि रह जाती थी। उसने चिढ़ कर तूलिका फेंक दी। उसके मुंह पर जहां-तहां लाल, पीले, नीले रंग लगे हुए थे।उसका नन्हा सा मुंह गुस्से से लाल हो गया था। बरामदे में बैठे … Read more

सबक – नीलम सौरभ : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : उस दिन शाम को ऑफिस से तक़रीबन एक घण्टे देर से छूट पाये थे प्रकाश जी। महीने का अन्तिम दिन था। सभी कर्मचारियों के वेतन-भत्ते सहित ओवर टाइम आदि का पूरा हिसाब-किताब वे सहायक लिपिक श्रद्धा के साथ बना रहे थे कि उसने उन्हें याद दिलाया, आज तो मुझे आधे … Read more

सुनीता चाची – पूजा मिश्रा

बचपन से अपनी चाची को देखती हूँ घर मे जो भी              बड़े बड़े काम होते चाची की सूझ बूझ से वह बहुत शानदार हो जाते थे ,चाची काफी पढ़ी लिखी थी टीचिंग जॉब करना चाह रही थी सेंट्रल स्कूल में उनको नौकरी मिल गई थी पर चाचा ने उन्हें … Read more

“रियल पैराडाइज ” – अनुज सारस्वत

*************** “स्तुति जल्दी आओ तुम यहां तुम्हारे मम्मी पापा का एक्सीडेंट हो गया है “फोन पर स्तुति की पड़ोसन ने बताया स्तुति बोर्डिंग स्कूल में कक्षा 11 की छात्र थी,आनन-फानन में वहां से निकली और अपने पैतृक शहर पहुंची।घर पहुंच कर देखा तो उसके मम्मी पापा दम तोड़ चुके थे ,पूरे घर में मातम का … Read more

कोमल मन – भगवती सक्सेना गौड़

अक्षरा, तुम्हारे जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ। तुम क्या गयी जैसे……जिंदगी ही चली गयी। सच है, जब तक तुम करीब थी, तुम्हारी अहमियत नही समझ पाया । बहुत लड़ा हूँ अपने अपने अहम से, अब थक गया हुं अक्षरा । मैं नही जानता मैं इस योग्य हुं कि नही, पर तुम्हारे लौट … Read more

दो आँखें  – पुष्पा जोशी

‘मम्मा प्लीज जाते समय लाइट बंद करते जाना, मुझे लाइट में नींद नहीं आती।’ ‘बेटा समायरा ! छोटा बल्ब जलने दो,क्या तुम्हें अंधेरे में डर नहीं लगता?’ ‘कैसे लगेगा मम्मा ? तुम्हारी दो आँखें उसे मेरे पास आने ही नहीं देती,कितना ध्यान रखती हो मेरा, बेचारा डर…..डर कर भाग जाता है,और हाँ, कभी भूलकर सपने … Read more

 जमीन तो बिकनी ही थी – नीलम नारंग

मोहना कनाडा से आई शमशेर की चिठ्ठी पढ़ कर गुरदित को सुना रहा था | गुरदित की आँखों में ख़ुशी और दुःख के आंसू एक साथ बह रहे थे | चिठ्ठी के  शब्द कम सुनाई दे रहे थे  अतीत की बातें ज्यादा याद आ रही थी | “शमशेर ओ शमशेर कहाँ है , यार तेरा … Read more

सपने में भी नहीं सोचा था – लतिका श्रीवास्तव

सुबह सुबह मोबाइल बज उठा मिताली जी ने जल्दी से चश्मा ढूंढ कर आंखों में लगाया हड़बड़ी में ठीक से लग ही नहीं पा रहा था फिर मोबाइल ऑन किया तो उनके पोते तुषार का फोन था…..” हेलो हां बेटा ….सब ठीक तों है ना!…..क्या कह रहे हो  ये तो मैने सपने में भी नहीं … Read more

error: Content is Copyright protected !!