इकलौता – विनय कुमार मिश्रा
माँ कुछ परेशान हो कब से इधर उधर देख रही थीं, कभी न्यूज पेपर हाथों में लेती, थोड़ी देर उसे देखती फिर रख देती। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी पापा को देखा, वे भी कभी दीवार घड़ी को कभी दीवार पर लगे पेंटिग्स को गौर से देख रहे थे। आज दोनों का … Read more