वो वाक़या जो भुला न सका – अनजान लेखक (मुकेश कुमार)

पैंतालीस साल से उपर गुजर गए थे जब मैंने ठान लिया था की जो भी हो अब इस जन्म में दोबारा हमलोग न ही भेंट-मुलाक़ात करेंगे और न ही बात करेंगे. एक शहर के हो कर भी हमलोग अजनबी बने रहे. लेकिन वो बोलते हैं न की “कुछ चीज़ें आप करते हैं और कुछ चीज़ें … Read more

दादी बुआ का पिटारा – पायल माहेश्वरी

बड़ी बहन भी माँ समान होती हैं यह पंक्ति सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं, पर हमारे सामाजिक परिवेश में वो स्त्री जिसका स्वयं कोई परिवार नहीं होता हैं वो मन से कितनी अकेली होती हैं यह मैंने अपनी कथा में दर्शाया हैं।   “आज तो मैं दादी-बुआ के पिटारे का राज जानकर रहूँगी ” कमला … Read more

होश – दीप्ति सिंह

 कांति अपनें माँ बाप की इकलौती पुत्री थी। दो पुत्र कांति से पहले खत्म हो गए ,चार कांति के बाद पैदा हुए यानि चार भाइयों की इकलौती बहन, घर भर की लाडली।  “कांति की माँ !ब्याह कर दे कांति का, मृतजाई है… जिनगी लंबी हो जाएगी इसकी । ”  एक ग्रामीण महिला ने सलाह दी … Read more

माँ का साथ – सरला मेहता

” हुर्रे ! इस साल भी हमें विभा मेम ही विज्ञान पढाएंगी। ” पाँचवीं कक्षा के बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं है।  आदि ताली बजाता है, ” हाँ ना, मेम का भी जवाब नहीं। खेल खेल में सब समझा देती है। “ कक्षा में सभी शिक्षकों से डाँट खाने वाला विभोर तो बस नाचने … Read more

लकवा मार गया है: मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

बात तो वो भी सही थी न पल्लवी? क्या सही थी, बीना सोचे समझे कुछ भी बोलते रहते हो। अरे भई मैंने तो इतना कहा न की अगर मेरे पास सरकारी नौकरी नहीं होती तो तुम्हारी शादी योगेश से हो जाती। हुई नहीं न? तो फिर क्यों उस बात को उकसाते रहते हो? और वैसे … Read more

आम – अनुपमा

राधा की शादी स्युंक्त परिवार मैं हुई थी , सामान्य परिवार की तरह ही था उसका परिवार , मिडिल क्लास , ना बहुत कम न ही बहुत ज्यादा , सुघड़ता से परिवार चलाने पर कमी नही थी किसी चीज की  राधा के सास ससुर , देवर , ननद , दादी सास , एक नौकर जो … Read more

शर्त – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

बड़ी बहन दीदी…जैसे ही ऑटो से उतरी घर के सब लोग बाहर निकल कर आ गये। सब ने एक -एक कर उनके पांव छुए। बड़े भैया ने उनका सामान उतरवा कर बरामदे में रखवा दिया। भाभी उनका हाथ थामे अंदर ले आईं। वह दौड़ कर एक ग्लास में पानी और दूसरे में लस्सी लेकर आ … Read more

मूक भाषा – पूनम वर्मा

“बंटी बेटा ! अपनी मम्मी को बुला ला । कहना , मुन्नी को भूख लगी है, बहुत रो रही है, जल्दी आये ।” कहते हुए दादी ने बंटी को भेजा और खुद मुन्नी को चुप कराने की कोशिश करने लगी । तभी शुभा आई और अपनी दस महीने की बच्ची को दूध पिलाने ले गई … Read more

क्या कोई आयेगा? – दर्शना जैन

कई बार अमरदीप काम से लौटता और उसका अपनी पत्नी उर्मिला पर जरा-जरा सी बात पर चिल्लाना शुरू हो जाता। उर्मिला को बुरा लगता तो उसकी सास कहती,” समझा करो बहू, काम कर करके थक जाता है बेचारा अमरदीप, फिर उसे काम का तनाव भी कितना होता है। ऐसे में कभी अगर वह चिल्ला भी … Read more

निर्णय – प्रीति आनंद

  “दीक्षा , आज हमारे ऑफ़िस में गेट-टुगेदर लंच है, सभी को अपनी फ़ैमिली को लेकर आना अनिवार्य है। मैं बारह बजे आऊँगा तुम्हें पिक-अप करने। तैयार हो जाना कुछ अच्छा-सा पहन कर।” राकेश ने दफ़्तर के लिए निकलते हुए फ़रमान सुना दिया। “पर राकेश, आज तो मुझे ऐयरपोर्ट जाना है कामिनी को मिलने। तुम्हें … Read more

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