हिदायतों के बाद भी — मुकुन्द लाल

प्रवीण के दफ्तर जाने के बाद रजनी अपनी बच्ची रिंकी को गोद में लेकर घर में बैठी हुई थी। अचानक गेट को खटखटाने की आवाज आई।  ” कौन?”  फिर भी प्रत्युत्तर में कोई आवाज नहीं आई।  उसके जेहन में अपने पति द्वारा दी गई चेतावनी युक्त बातें उभरने लगी।  शहर में बढ़ते अपराधों, लूट-पाट और … Read more

अकेले – पूनम वर्मा

शैली को इस शहर में आए कुछ ही दिन हुए थे । उसकी दो जुड़वाँ बेटियाँ थीं । एक दिन वह दोनों बेटियों को लेकर कॉलोनी के पार्क में गई । बच्चियाँ खेलने में मशगूल हो गईं और शैली किनारे बेंच पर बैठ गई । तभी एक अधेड़ महिला उसके पास आकर बैठीं और बातचीत … Read more

सबक – तृप्ति उप्रेती

 नमित ने आज फिर गुस्से में खाना नहीं खाया। यह लगभग रोज की बात हो गई थी। किशोर बेटे के ऐसे व्यवहार से मोहिता आहत हो जाती। वह और रमन उसे कई बार समझा चुके थे पर नमित का स्वभाव दिनों दिन बदलता जा रहा था। नमित मोहिता और रमन का इकलौता बेटा था। रमन … Read more

खुशियों की चाभी – अनुपमा

अक्सर देखा जाता है की हमारी खुशी हमसे होती ही नहीं है ,दूर दूर तक हमारी ही खुशी का हमसे कोई लेना देना नही है । हमारी खुशी दूसरों के कर्म पर निर्भर करती है , खासतौर से महिलाओं के मामले मैं तो ये सौ प्रतिशत सही ही है  आज पति / बच्चों के मन … Read more

लम्हें – कंचन श्रीवास्तव

****   कौन कहता है अतीत की यादें  सुकून देते हैं वो तो वर्तमान के दर्द को और बढ़ा देते हैं जो दर्द से भरा हो।अब हमें ही देख लो किडनी जैसे असाध्य रोग के जूझ रहा हूं बिस्तर पर लेटे लेटे उब जाता हूं तो कभी कभार अतीत के पन्ने खोलता हूं ,पर पाता … Read more

किरायेदार – गोविन्द गुप्ता

एक मकान अपना हो यह सपना सभी का होता है यही सपना पाले नरेश और मीना दिल्ली के एक किराये के छोटे से अपार्टमेंट में रहने आये , नरेश एक कम्पनी में मैनेजर था और मीना स्कूल टीचर, दोनो की जिंदगी मस्ती से कट रही थी, सुवह निकल जाना शाम को आना और बाजार में … Read more

राधिका का सफर – संगीता अग्रवाल 

” सॉरी मिस्टर राहुल आपकी बीवी कभी मां नही बन सकती !” अपनी पत्नी राधिका को लेकर अस्पताल आए राहुल से डॉक्टर ने कहा। ” क्या…..पर डॉक्टर कोई इलाज तो होगा कोई उम्मीद कुछ तो !” राहुल बोला। ” देखिए राहुल जी चमत्कार पर मैं विश्वास नहीं करती और हकीकत आपको बता ही चुकी मैं … Read more

काश! बेटी की बातों में ना आती – तृप्ति उप्रेती

 “चाय बना दूं”? सुरभि जी ने पास बैठे दिनकर जी से पूछा। “इच्छा तो नहीं है। तुम पियोगी तो थोड़ी मैं भी पी लूंगा”। दिनकर जी अखबार समेटते हुए बोले। सुरभि घुटनों पर हाथ रखकर धीरे-धीरे उठी और रसोई में जाकर चाय बनाने लगी। सर्दियां शुरू हो चली थी। ऐसे में उनके जोड़ों का दर्द … Read more

पिया की पाती – अनुपमा

#बैरी_पिया अनुज और बच्चे सभी बहुत उत्साहित है आज मम्मी पापा जी की 50 वीं शादी की सालगिरह जो है , अनुज ने एक छोटी सी पार्टी रखी है , बड़ी दीदी , छोटी दीदी , भैया जी व कुछ करीबी लोगो को बुलाया गया है । बच्चे तो इतने उत्साहित है की उन्होंने उस … Read more

रंग शरबतों का – Anamika Pravin

सुरैया ने जैसे तैसे खुद को भीगने से बचाने के लिए पास के कैफे में एंटर किया । बचते बचते भी साड़ी नीचे से गीली हो ही गई । नज़र उठा कर देखा तो पूरा कैफ़े खचाखच भरा पड़ा था । ” ओहो ! एक भी टेबल खाली नहीं है , क्या पूरे शहर में … Read more

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