जीवन एक ख्वाब नहीं बल्कि हकीकत है – पुजा मनोज अग्रवाल

माता पिता की इकलौती लाडली बेटी सिम्मी , प्यारी मनमोहक मुस्कान  , संस्कारी, सबके साथ सामंजस्य बिठाने में माहिर , हर कार्य में दक्ष , गुणों की खान थी सिम्मी  । माता पिता को मयंक अच्छे लगे तो उन्होंने छोटी उम्र में ही उसका विवाह कर दिया ।      नव विवाहिता सिम्मी अपनी  आंखों  में रंगीन … Read more

महक का रिश्ता – तृप्ति उप्रेती

आज बहुत अरसे बाद मेहरा निवास में खुशियों ने दस्तक दी थी। परेश मेहरा और उनकी पत्नी विभा मेहमानों का स्वागत कर रहे थे। उनकी आंखों में बसी गहरी उदासी किसी से छुपी नहीं थी लेकिन उन्होंने अपने दर्द के साथ जीना सीख लिया था। आज उनके बेटे राज की शादी पूर्वी से होने जा … Read more

बेवाई पैरों की, –  गोविन्द गुप्ता

अर्जुन एक मजदूर था रोज सुवह जाना और अड्डे से  काम की तलाश में निकल जाना यह रोज का कार्य था, तीन बच्चे थे जो छोटे थे, सरकार का स्कूल चलो अभियान चला तो उनका एडमिशन सरकारी स्कूल में हो गया, बड़ा बेटा पढ़ने में तेज था हाईस्कूल की पढ़ाई के बाद कोई स्कूल भी … Read more

आरव – कान्ता नागी

जब से आरव ने जन्म लिया वह घर में उपेक्षित ही था, क्योंकि बचपन से ही वह दूसरे बच्चों की तरह चल-फिर नहीं सकता था।मीनू और उसके पापा अजीत ने उसका बहुत उपचार करवाया।फीजीयोथेरोपी कराने से अब वह वैशाखियों के सहारे ही चल सकता था।जब से उसकी बहन नीलू का जन्म हुआ, माता-पिता का सारा … Read more

समझदारी – कान्ता नागी

गोविन्द और रेखा दोनों जुड़वां भाई -बहन थे।उनके पिता कर्नल विनोद फौजी थे,जबकि उनके जन्म के बाद ही मां गुंजा की मृत्यु हो गयी थी। कर्नल विनोद ने दोनों की परवरिश की। दोनों भाई बहन बचपन से ही होशियार और कुशाग्र बुद्धि होने के कारण अब अपनी मंजिल के करीब पहुंच चुके थे। रेखा का … Read more

पायल – निभा राजीव

शिप्रा माता-पिता के देहांत के बाद पहली बार रक्षाबंधन पर मायके जा रही थी। यूं तो भैया भाभी ने बहुत प्यार से बुलाया था। भाभी ने बड़े मनुहार से कहा था कि “सोच ले शिपू कि मां के पास आ रही है।”  पर फिर भी मन न जाने कितनी शंकाओं से घिरा हुआ था। कि … Read more

एहसान – सपना बबेले

मीना की शादी को चार साल ही हुए थे कि अचानक पति की तबीयत बिगड़ी और कुछ दिमागी हालत खराब हो गई। बहुत परेशान थी मीना क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। ससुराल वालों ने भी किसी प्रकार की मदद करने से मना कर दिया। क्यों कि मानसिक रूप से बीमारी के … Read more

ऊंचाइयां – गोविन्द गुप्ता 

सुधीर एक राजनीतिक दल का समर्पित कार्यकर्ता था उसका पूरा परिवार वर्षों से उसी पार्टी का अनुयायी था, अभी पार्टी कभी भी सत्ता में नही आई थीं पर विचारधारा के कारण सुधीर और उसका परिवार हमेशा पार्टी के साथ खड़ा रहा, एक बात सत्ताधारी दल की बहुत बुराई बढ़ गई लोग अंदर ही अंदर बदलाव … Read more

और सपना टूट गया – प्रीती सक्सेना

पापा जबसे ऑफिस से लौटे हैं, मम्मी से पता नहीं क्या बातें किए जा रहे हैं, मुझे कुछ समझ भी नहीं आ रहा, कान लगा तो रही हूं, पर कुछ पल्ले नहीं पड़ा, थोड़ी देर बाद दोनो मेरे कमरे में आए और बोले, पापा के दोस्त हैं न श्याम अंकल, उन्होंने तुम्हारा हाथ मांगा है, … Read more

ननद का हक –   मुकुन्द लाल

 शोभा की शादी के बाद तुरंत ही विदाई होने के पहले पारम्परिक रीति-रिवाज के अनुसार उसके बक्से को नये-नये कपड़ों, उपहारों व अन्य जरूरी सामानों से रिश्तेदारों द्वारा सजाया जा रहा था। उसी क्रम में उसकी मांँ कागजों में लिपटा एक चौकोर छोटा सा बंडल बक्से में रखने लगी तो वहीं पर खड़ी मुआयना करती … Read more

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