हम सफर-सीमा बी.

नैना को रोज मेट्रो से आना जाना होता है उसने अपनी छड़ी और कदमों की गिनती से रास्ते को पहचानना सीख लिया है ।अपने नाम के जैसे उसकी आँखें बहुत ही सुन्दर और बड़ी बड़ी हैं पर उन आँखों मे रोशनी नही है। अनुराग और नैना की मुलाकात रोज मेट्रो में ही होती हैं । … Read more

मृगतृष्णा – सीमा बी. #लघुकथा

आज भी मुझे याद है,जब मेरे लिए अविनाश का रिश्ता आया था।अपनी अपनी माता पिता की एकलौती संतान हैं। पेशे से डॉक्टर होने के बावजूद  वो एक पढी- लिखी घरेलू लड़की से शादी करने को इच्छुक थे। इतना अच्छा रिश्ता सामने से आया तो ना करने की कोई वजह नहीं थी। छह महीने के छोटे … Read more

 लंगड़ी-कन्या – सीमा वर्मा

New Project 55

“लंगड़ी , हाँ यही उसका नाम है।” “जब भी मेरी यह भक्त कन्या अपने एक छोटे पाँव पर हिलक-हिलक कर अकेली ही कदम खींचती हुई आती है , मेरा ध्यान अपने समस्त भक्तों से हट कर उस पर ही केंद्रित हो जाता है, “अपनी हँसी उड़ाए जाने के डर से हमेशा एकाकी ही दिखती है … Read more

जिन्दगी बदल गयी  -पुष्पा पाण्डेय

New Project 50

सुबह चाय के साथ हाथ में अखबार लेते ही शर्मा जी बोले। “राधा! देखो तो ये कंचन जी की तस्वीर है?” ” अरे हाँ, ये तो कंचन ही है।” “इन्हें ‘राष्ट्रीय  साहित्य-रत्न’ पुरस्कार मिला है। मुख्य पृष्ठ पर ही तस्वीर छपी है। अब तुम्हारी बात नहीं होती है उनसे?” ” यहाँ आने पर  कुछ दिन … Read more

फैसला – रचना कंडवाल

New Project 47

शाम के चार बज रहे थे।  लड़का झील के किनारे बैठ कर किसी  का इंतजार कर रहा था।कभी खड़ा होता, कभी बैठ जाता। उसके अंदर अजीब सी बेचैनी थी। आसपास का मनोरम वातावरण भी उसे अपनी तरफ खींचने में असमर्थ था।उसी बेचैनी में वह झील में पत्थर मारकर पानी की खामोशी तोड़ रहा था। तभी … Read more

तुम शक्ति हो -रंजना बरियार

New Project 49

मेडिकल में दाख़िला हेतु आज फिर अनन्या का टेस्ट है..वो दो सालों से टेस्ट दे रही है..अब तक दसों टेस्ट दे चुकी है! “माँ मुझे नहीं जाना है क्या फ़ायदा टेस्ट देने का?” निराशा में वो अपनी माँ, सुनैना से कहती है। “नहीं बेटे तू जा एक प्रयास और कर ले!” सुनैना ने कहा। एक … Read more

पिया बसंती – रश्मि स्थापक

कादम्बिनी ने अपनी ड्राइंग रूम की खिड़की से बाहर देखा …पीले फूलों की बहार आई हुई थी,उसने कैलेंडर पर निगाह डाली बस दो दिन बचे है बसंत पंचमी को…तभी हवा का वासंती झोंका उसे जैसे बाहर गॉर्डन तक ले आया…सिहराने वाली ये वही तो हवा है जो उसके बीसवें वसंत को मदहोश किए जाती थी…तभी … Read more

भेदभाव -ऋतु अग्रवाल

New Project 48

 बारहवीं की परीक्षा के बाद पूर्वी अपनी नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने चली गई। दो मामा,मामियाँ, उनके बच्चे और नानी भरा पूरा परिवार था। पूर्वी का परिवार शहर में रहता था जबकि नानी का परिवार एक छोटे से कस्बे में था।      शहर में पूर्वी एक  मस्तमौला जीवन बिताती थी पर नानी के यहाँ माहौल थोड़ा … Read more

छोटी बहन – भगवती सक्सेना गौड़

मैं घर की सबसे छोटी प्यारी सी बेटी रही, आज भी मायके के नाम पर, शब्द उच्चारण करते ही, एक सकारात्मक दुनिया का आभास होता है। समय धीरे धीरे सरकता रहा, सब बहनों की शादी हो गयी, घर मे रह गए, मैं और मेरा छोटा भाई, और मेरी ममतामयी मम्मी। भाई से मेरा रिश्ता, दोस्त … Read more

सफ़र पीहर का  – पूनम वर्मा

New Project 47

सुबह आँख खुली तो सामने तांबे-सा लाल  सूरज अपनी आँखें खोल रहा था । यही वक्त था जब उसकी आँख से आँख मिलाई जा सकती थी । हमारी नज़रें मिलीं भी । कुछ जाना-पहचाना-सा लगा सूरज । आज सूर्योदय देखकर मुझे अपना बचपन याद आने लगा । इतने करीब से सूरज को तभी देखा था … Read more

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