पहलू- कंचन श्रीवास्तव
तमाम लोगों के घरों की कहानियां सुनकर रमेश को बड़ा आश्चर्य होता था। कि कैसे लोग रहते हैं आखिर सब कुछ पहले जैसा ही तो रहता है ,फिर ऐसा क्या होता है कि सब तितर बितर हो जाता है। और दूसरे ही पल दादी और मां के रिश्ते को लेके उसका मन खट्टा हो जाता। … Read more