कन्यादान – मुकेश पटेल

गर्मी की छुट्टियों में महेश जी हर साल अपने पैतृक गांव जरूर जाते थे। महेश जी का एक छोटा सा परिवार था जिसमें उनकी बेटी नीलम और पत्नी जया कुल मिलाकर तीन सदस्य थे।  नीलम भी 10th का एग्जाम दे चुकी थी इसलिए वह भी अपने मम्मी-पापा के साथ गांव घूमने के लिए जाने वाली … Read more

आखिर बुजुर्गों को भी जीने का हक है

मंजू एक टीचर थी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रही थी तभी बीच कक्षा के दौरान पीउन ने दरवाजा खटखटाया। मंजू ने जब दरवाजे की तरफ देखा तो पीउन ने इशारा किया प्रिंसिपल साहब आपको तुरंत अपने ऑफिस में बुला रहे हैं। मंजू बच्चों को सॉरी बोल प्रिंसिपल के चेंबर में पहुंच गई वहां पहुंचते … Read more

उधार के रिश्ते

रूबी 5 साल की थी तभी से उसके सर से बाप का साया हट गया था उसके बाद रूबी की मां अपने मायके में ही रहती थी।  रूबी को यह पता नहीं था कि उसके पापा आखिर कहां चले गए, वह हमेशा अपने नानी से और अपनी मां से इस बारे में पूछती थी लेकिन … Read more

कभी सौतन कभी सहेली

लक्ष्मी की सास को अपने बहू की कोख से सबसे पहले बेटा चाहिए था लेकिन बेटे की चाह मे लक्ष्मी 4 लड़कियों को जन्म दे चुकी थी। पांचवी बार लक्ष्मी माँ नहीं बनना चाहती थी, इस महंगाई के जमाने में चार लड़कियों का पालन-पोषण करना ही बड़ी बात है। लेकिन उसने मन बना लिया था … Read more

मायके की ललक

रागिनी का जन्म एक संयुक्त परिवार में हुआ था। रागिनी के पापा के चारों भाई दादा-दादी सब साथ ही रहते थे। संयुक्त परिवार में होने के कारण रागिनी, रिश्तो की कद्र करना जानती थी और वह खुद भी एक बेहद समझदार और जिम्मेदार लड़की थी। जब रागिनी कॉलेज में थी तभी उसकी शादी प्रकाश से … Read more

मायके का बेटा – मुकेश कुमार

मैं बाथरूम से जैसे ही नहा कर निकली मेरी पड़ोसन शीला ने दरवाजा खटखटाया।   दरवाजा खोलते ही मैंने बोला अंदर आओ, कैसी हो और क्या हाल है। तभी शीला ने कहा मैडम हाल-चाल बाद में पूछना पहले यह बताओ तुम्हारा फोन कहां है तुम्हारे मिस्टर ने हमें फोन किया है यह लो बात करो। … Read more

ससुराल की नौकरानी-Mukesh Kumar

डिनर बनाने का समय हो गया था नेहा ने  सोचा कि सब से पूछ लेती हूं कि सब लोग क्या क्या डिनर में खाएंगे। सबसे पहले उसने अपनी सास से पूछा, “मम्मी जी आज खाने में क्या बनाऊँ.  नेहा की सास सविता जी ने कहा, “मुझे तो आज राजमा चावल खाने का मन कर रहा … Read more

बीमार हूँ लाचार नहीं-मुकेश कुमार

प्रताप जी का दिल्ली में शर्ट की अपनी खुद की फैक्ट्री थी। गांधीनगर के होलसेल बाजार में उनकी खुद की अपनी दुकान भी थी उनके तीनों बेटे मिलकर दुकान को संभालते थे।  प्रताप जी पैसे की कमी की वजह से स्वयं तो पढ़ाई नहीं कर पाए थे क्योंकि वह खुद एक गरीब परिवार से आते … Read more

पलकों की छांव में

साहिल बंगलोर की कंपनी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था छोटा सा परिवार था पत्नी, एक बेटा,एक बेटी  और उसके पापा, मां बचपन में ही गुजर गई थी एक बहन थी तो वह शादीशुदा थी।   साहिल के पापा स्कूल शिक्षक थे जब तक नौकरी में थे तब तक तो वह गांव में ही रहते थे … Read more

तुम देना साथ मेरा- मुकेश पटेल

समीरा देखने में जितनी सुंदर थी उतनी ही सुशील स्वभाव की भी थी। । समीरा ने शादी के कुछ दिनों बाद से ही पूरे परिवार का ख्याल रखना शुरू कर दिया था क्योंकि वह घर की सबसे बड़ी बहू थी  समीरा के पति से छोटे उसके देवर और एक ननद थी लेकिन उनकी अभी शादी … Read more

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