बेटे की माँ बनना ही काफ़ी नहीं है… – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

New Project 98

“ये क्या बेटा  बाहर से आए हो कपड़े तो बदल लो… आते ही आराम कुर्सी पर आराम फ़रमाने लगे… देखरही हूँ दिन प्रतिदिन तुम बिगड़ते जा रहे हो।” ग़ुस्से में नयना अपने बेटे आदि के कपड़े बदलने की जुगत करती बोली  तभी उसने देखा देवरानी अदिति की बेटी इरा खुद ही कपड़े बदल कर अपनी … Read more

मैं तो बहुत खुश हूँ – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

New Project 97

 ” सुनिये ना.. सोफ़ा खरीद लीजिये ना..बच्चों के दोस्त आते हैं तो उन्हें कुरसी पर बैठाना बहुत खराब लगता है..सबके घर में…।” छवि की बात पूरी होने से पहले ही मानव बोल पड़ा,” ओफ़्फ ओ…तुम फिर से शुरु हो गई..।”      ” तो आप मेरी बात मान क्यों नहीं लेते…।” मनुहार करते हुए वो बोली तो … Read more

शहर की चमक – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

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संयोगिता बीए. फाइनल की छात्रा थी तभी पिता सतेंद्र को किसी ने शहर के एक खूबसूरत नौजवान लड़के का रिश्ता सुझाया। सतेंद्र शहर गए वहां शांतनु और उसके परिवार से मिले। शांतनु और उसका परिवार उन्हें एक नजर में ही पसंद आ गया।  इसी साल ही शांतनु की बैंक में क्लर्क की पोस्ट पर नौकरी … Read more

रिश्ते प्यार से चलते हैं ना की मजबूरी से -मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

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“बस बहुत हो गया संपदा••! तुझे अब वहां जाने की जरूरत नहीं! संपदा की मां सुमित्रा जी गुस्से से  बोलीं ।   ‘मां!आप सही कहती थीं कि मुझे सारांश से शादी नहीं करनी चाहिए! अब मैं पछता रही हूं! कहते हुए संपदा रोने लगी।  बस बेटा! अभी कुछ नहीं बिगड़ा है सब कुछ छोड़-छाड़ के यहां … Read more

दिखावे कि ज़िंदगी – शीतल भार्गव : Moral Stories in Hindi

New Project 97

# दिखावे की जिंदगी # रमेश और सुरेश दोनों बचपन के दोस्त थे , जो एक ही गाँव में पले-बड़े थे । दोनों के सपने बहुत बड़े थे, लेकिन रास्ते बिल्कुल अलग थे । रमेश हमेशा से ही मेहनत और ईमानदारी में विश्वास रखता था । उसकी एक छोटी सी दुकान थी जिसे उसने धीरे-धीरे … Read more

औलाद के मोह के कारण वह सब सह गई थी – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

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पार्वती पति की मृत्यु के बाद बेटे विराट के साथ रहने लगी । बहू मानिनी भी नौकरी करती थी । उनके दोनों बच्चों को पार्वती ही घर में रहकर देख लेती थीं । उस दिन वह कमरे में अकेली बैठी हुई थी कि तभी अचानक से उसे किसी की फुसफुसाहट सुनाई पड़ी । वह धीरे … Read more

स्त्रियां कहां बुद्ध हो पाती हैं!! – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

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सीमा जी  शाम को टहलने पार्क निकली तो देखा सोसाइटी की सभी महिलाएं झुंड बनाकर चर्चा में व्यस्त थी। सीमा जी 3 महीने बाद बेटी के पास से अमेरिका रहकर लौटी थी। पहुंचते ही उन्हीं के ब्लॉक की सत्यवती बोली, “और बताइए कैसा रहा बेटी के यहां का विदेश भ्रमण?” वे कुछ कह पाती उससे … Read more

लल्लो चप्पो करना – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

New Project 100

 ममता (बड़ी बहु) ला मुझे दे , ये  प्लेट, सरला जी ने प्लेट छीनते हुए बोला, औऱ आवाज लगाने लगी   सुमन बेटा, (छोटी बहु) फल खा के ही ऑफिस जाना। सुमन ने उनके हाथों से फल लेते हुए बोला, अभी टाइम नही है माँ जी ऑफिस में खा लुंगी। बहु को बाहर बाय बाय … Read more

बेटी – एम पी सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104436.080

रामलाल जी की 2 बेटियां थी, बड़ी रंजना ओर छोटी रोहिणी। रंजना स्कूल मे टीचर थीं और रोहिणी कॉलिज के फाइनल ईयर मैं थी। बिन मॉ की बेटियों सूंदर, समझदार ओर गृह कार्य मे दक्ष थीं।। रामलाल जी एक सेठ के पास मुंशी का काम करते थे। मामूली तनख्वाह ओर 2 जवान बेटियां की शादी … Read more

लतिका – सुधा भार्गव : Moral Stories in Hindi

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हाँ ,उसका नाम लतिका ही था । उसकी तरह न जाने इस जग में कितनी भरी पड़ी हैं जो लता बनने से पहले ही लताड़ दी जाती हैं या अपना इस्तेमाल करने के लिए खुद विवश हो उठती हैं।  उसके साथ तो कुछ यू हुआ –तीन भाइयों वाली वह बहन थी । पिता प्रकाश की … Read more

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