चिरवंचिता – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

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समिधा अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।‌ बचपन से ही उसे वह सब कुछ मिला जिसकी किसी भी बच्चे को चाहत हो सकती थी, ढेर सारे खिलौने, गेम्स,  चॉकलेट्स, वेकेशन पर बाहर घूमने जाना, मूवीज़, आए दिन रेस्टोरेंट्स में खाना खाना…. उसकी बाॅर्बीज़ का कलेक्शन तो सहेलियों में ईर्ष्या का विषय था‌। ऊपर से सब … Read more

कलावा – डॉ. ओंकार त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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मां! मैं मेरा नाश्ता सुबह 8:00 बजे तैयार कर देना मुझे बहुत जरूरी काम से बाहर जाना है, कहते हुए स्पर्श अपने कमरे में चली गई।  कल तो छुट्टी है बेटी। कल  इतनी जल्दी कहां जाना है ? मां ने पूछा पर स्पर्श ने कोई जवाब नहीं दिया। शायद उसने सुना ही नहीं था और … Read more

कर्तव्य – चाँदनी झा : Moral Stories in Hindi

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“अंगूठी का नगीना” तुम सिर्फ मेरे लिए हो बेटा। मैं दुनिया से तुम्हें उम्मीद करना नहीं, अपना कर्तव्य करना सिखाना चाहती हूँ। बाकी सारी समस्याएं खुद हल हो जायेगी। दरअसल रवि, अपनी माँ का एकमात्र और इकलौता बेटा था। माँ के लाड़-दुलार और अत्यधिक देख-रेख के कारण वह बस प्यार पाना जानता था। जबकि दुनिया … Read more

करियर – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

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माँ , कल ग़ाज़ियाबाद जाना है तो आरती के लिए गाजर का हलवा बना दो , ले जाऊँगा । कुणाल ट्यूशन से आता ही होगा , सामान ले आएगा ।  बता ! एक- आध दिन पहले बता देता तो तिल के लड्डू भी बना देती । अब कल जाना है और अब बता रहा है … Read more

*एक दूजे का सहारा* – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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दिलीप और भारती का परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार था। दिलीप एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी करता था और भारती अपनी गृहस्थी को सुचारू रूप से चलाती थी। वह घर के सारे कार्य अपने हाथ से करती ,और बहुत मितव्ययी थी। दो बेटे थे उन्हें हमेशा अच्छे संस्कार देने की कोशिश की। उनकी शिक्षा … Read more

मैं बेटी के मोह में सही गलत का फर्क भूल गई – डा. शुभ्रा वार्ष्णेय : Moral Stories in Hindi

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लगातार टेलीफोन घनघना रहा था। अपने अपने मोबाइल होने के कारण घर का पीएनटी फोन बाहर रख दिया था और आज समय सुबह 4:00 बजे ही बचते हुए यह किसी प्रबल आशंका की तरफ सूचित कर रहा था। घुटने के दर्द के कारण सुशीला देवी को उठने में दिक्कत हो रही थी तो उन्होंने पास … Read more

मोहताज – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

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जया जब अठारह साल की हो गई थी तो माता पिता ने उसकी शादी कर दी थी । अपने पति का साथ उसे सिर्फ़ दो साल ही मिला था । दो दिन के बुख़ार से ही उसकी मृत्यु हो गई थी । अपने छोटे से बेटे को लेकर वह अकेली हो गई थी । उसकी … Read more

मोहताज – डा. शुभ्रा वार्ष्णेय : Moral Stories in Hindi

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गाँव के चौराहे पर हलचल मची थी। वहाँ एक नया मंच बनाया गया था, जिस पर बड़ा सा बैनर लगा था: “मोहताज कौन?” लोग इस अजीब से सवाल पर चर्चा कर रहे थे। सबको उत्सुकता थी कि आखिर यह सवाल क्यों पूछा जा रहा है। संध्या समय जब सूरज ढलने को था, तब एक युवक … Read more

बच्चों को अकेले रहने की आदत ना डालें – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

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मम्मी पापा आप लोगों को आज रात की गाड़ी से ही वापस जाना होगा , क्यों बेटा अभी तीन दिन पहले ही तो हम लोग आए हैं । सोचा था दस पंद्रह दिन रहेंगे तुम्हारे पास । अकेले रहते हो खाना पीना भी ठीक से नहीं मिलता बाहर का खाते हो सोचा था कुछ दिन … Read more

माँ का हिस्सा – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

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ये कहानी है रत्ना जी की। जिनके पास धन तो ज्यादा नहीं है पर जमीन और घर की मालकिन जरूर है। दो गबरू जवान बेटे और एक बेटी की माँ। सब शादीशुदा और अपने में मस्त। पर क्या हुआ जो एक दिन अचानक से दोनों बेटे माँ के पास आए और बड़े बेटे नवल  बोले,‘‘ … Read more

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