बेटी- रूद्र प्रकाश मिश्रा
” इस बार भी बेटी ही हुई ” । ये तीसरी बेटी हुई थी इस घर में और उसके होते ही ये एक पंक्ति पता नहीं कितनों के मुँह से निकली होगी । क्या मर्द , और क्या औरत , सभी बस इसी एक वाक्य को दुहरा रहे थे । पता नहीं , पोते का … Read more
” इस बार भी बेटी ही हुई ” । ये तीसरी बेटी हुई थी इस घर में और उसके होते ही ये एक पंक्ति पता नहीं कितनों के मुँह से निकली होगी । क्या मर्द , और क्या औरत , सभी बस इसी एक वाक्य को दुहरा रहे थे । पता नहीं , पोते का … Read more
पिता जी आप सारा दिन बिस्तर पर ही बैठे रहते हो। यहीं खाते पीते हो और सारा सारा दिन ‘टी वी’ देखते हो इसीलिए आप की हड्डियों ने जबाव दे दिया है थोड़ा चला फिरा करो घूमा करो गली में।” राजेश अपने पिता कोसमझा रहा था या झुंझला रहा था पिता दीनानाथ जी को कुछ … Read more
सीमा अधिकतर चुप रहती है कम बोलती है काम ज़्यादा करती है सभी लोग उससे उम्मीद रखते हैं कि समय से काम करे। क्या बाहर का, क्या घर का हरेक काम निपटा ही लेती है। घर में शांति बनी रहती है और सभी लोग अपने अपने काम में मस्त रहते हैं। खाने की टेबल पर … Read more
पत्नी के देवलोक गमन करने के बाद – एक दिन पत्नी के गहनें बेचकर – एक भारी – मज़बूत – अभेद – तिजोरी खरीद लाया। अपने कमरे की दीवार में फिक्स करवाने के बाद – घण्टों दरवाज़ा बन्द कर आराम से सोता रहा। शाम हुई तो ज़ेवर के खाली डिब्बे तिजोरी में जमाया। कुछ पुराने … Read more
पिताजी के देहावसान को पूरा एक वर्ष बीतने वाला था |उनकी बरसी की मेरी तैयारी पिछले कई दिनों से चल रही थी | मैं उनकी पुण्य तिथि पर अपने पहले काव्य संग्रह का विमोचन करवाना चाहता था | ये कहानी संग्रह मैंने उन्हीं को समर्पित किया था | पुस्तक प्रकाशित हो कर आ चुकी थी … Read more
कहते हैं पीड़ा और वेदना का कोई रूप नहीं होता,कभी अथाह कष्ट असहनीय वेदना के कारण बन जाते हैं तो कभी अति स्नेहलता आपको असीम पीड़ा से रूबरू करा देती है..पर दोनों ही रूप में कहीं न कहीं वक़्त और आपकी परिस्थितियाँ ही दोषी होती हैं.। मेरा अभिन्न मित्र शुभय भी इन दिनों कुछ इन्हीं … Read more
कार्यालय में अपनी सीट पर बैठी हुई मोहिनी गहरी सोच में डूबी दिख रही थी। बेटी ऋत्विका की आज सुबह नाश्ते के टेबल पर हल्के-फुल्के अंदाज़ में कही गयी बात उसके दिमाग़ में बड़ी देर से गूँज रही थी। “ममा! कल हमारी क्लास के कॉमेडी स्टार मधुप ने फिर से ख़ूब हँसाया था सबको….!” सैंडविच … Read more
“अरे मम्मी जी! आप अभी तक तैयार नहीं हुईं। गाड़ी आ गई है।” बहू ममता हैरानी से पूछ रही थी। एक पारिवारिक विवाह समारोह में उन सबको हाजीपुर जाना था। बेटे मनोज को पटना में कुछ काम था अतः वो शाम को आने वाला था। वो धीरे से बोलीं,”अभी तुम दोनों बच्चों को लेकर चली … Read more
अपने गांव के बाहर से गुजरने वाली रेलवे लाइन से हटकर कुछ दूरी पर स्थित चबूतरे पर बैठा सुदीप ट्रेन का इंतजार कर रहा था। अवसाद और क्षोभ की लकीरें उसके चेहरे पर साफ दिखलाई पड़ रही थी। प्रचंड धूप की तपिश के कारण चतुर्दिक सन्नाटा छाया हुआ था। दो बजने वाले थे किन्तु एक … Read more
बहुत साल पहले करीब 47 साल पहले की बात है, मेरे पापा बिलासपुर छत्तीसगढ़ में तहसीलदार के पद पर पदस्थ थे, मैं पांचवी क्लास में पढ़ती थी, पापा पास के गांव में टूर पर गए हुए थे, पापा के एक परम मित्र थे एक सरदार जी, जो अक्सर पापा से मिलने आते थे, उनकी खासियत … Read more