स्कूल – रश्मि स्थापक
“अरे! चंदू की दुकान खुल गई।” जय मन ही मन बुदबुदाया। घर के बिल्कुल सामने जूते-चप्पल सुधारने की छोटी सी गुमटी जिसे चंदू ने अपनी मेहनत से धीरे-धीरे कर खरीद भी ली थी जिसमें वह सुधारने के साथ ही साथ वह कुछ जूते बना भी लेता था। बीस साल से घर के सामने दुकान होने … Read more