मायका – नीरजा कृष्णा

“देख विदिशा, इस बार राखी पर तुझे यहाँ आना ही पड़ेगा। भला ये भी कोई बात हुई…भाई की कलाई पर इकलौती बहन की राखी ना सजे।” सुबह सुबह ही मम्मी का फोन आ गया था। उधर वो गहन धर्मसंकट में पड़ी हुई थी। जब जब मम्मी फोन पर आने का आग्रह करतीं…मन तो मायके की … Read more

पोते का सुख – सीमा वर्मा

New Project 42

‘ माँ ,अब आपने यह क्या मसला उठाया हुआ है ? ‘ ‘ क्या हुआ बेटे ? सुबह-सुबह ही तू इतना उखड़ा हुआ क्यों है ? ‘ — चौंक उठी कल्पना  ‘ तो बात बेटे तक पहुँच चुकी है ‘ कल शाम ही की तो बात है। जब कॉलोनी के पार्क में अपनी सहेली वृंदा … Read more

सबक – मीनाक्षी राय

“सबक” एक ऐसी कहानी है  जो एक  मां और बेटी पर  मैंने व्यक्त किया हुआ है| जो आप लोग के सामने में प्रस्तुत कर रही हूँ l आज अपनी समय रहते यदि सरिता ने बिटिया को सच और गलत मे फर्क करना सिखाया होता तो “दीपा” सरिताजी की बेटी अपनी जिंदगी में खुश होती|पर अफसोसयकी … Read more

बेटी – रूद्र प्रकाश मिश्रा

 ” इस बार भी बेटी ही हुई ” । ये तीसरी बेटी हुई थी इस घर में और उसके होते ही ये एक पंक्ति पता नहीं कितनों के मुँह से निकली होगी । क्या मर्द , और क्या औरत , सभी बस इसी एक वाक्य को दुहरा रहे थे । पता नहीं , पोते का … Read more

भाभी माँ – कंचन शुक्ला

New Project 43

वे मुझे इतनी पसन्द हैं कि मेरा मन होता है सदैव उनके आसपास रहूँ। उनसे दो पल की भी जुदाई मेरे मन को विचलित कर जाती है। भीनी भीनी सी उनके व्यक्तित्व की महक। कोयलों सी बोली, कानों में घुलकर, सब तनाव दूर कर देती है। भैया दो दिन के लिए टूर पर गए हैं। … Read more

एक वो रात थी -पुष्पा पाण्डेय

New Project 44

अक्सर ग्रामीण इलाकों में सरकार या सामाजिक संस्थाओं की ओर से मेडिकल कैम्प लगते रहते हैं। इस बार आँख की बीमारी का कैम्प  लगा था, जिसमें मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी होता था। इस कैम्प में दो डाॅक्टर और चार नर्सों का समूह था। उन नर्सों में एक सिनियर नर्स थी, पुतुल। पुतुल अपनी सौ प्रतिशत  … Read more

नीरजा -रीटा मक्कड़

कितनी खुशी खुशी से  शादी करके आयी थी  नीरजा ससुराल में। मन मे सतरंगी सपने लिए। मायके में पिता और भाई का इतना डर था कि किसी लड़के की ओर देखना तो दूर मन मे किसी का ख्याल लाने का दुःसाहस भी नही कर पाती थी। तो बस उस समय की बाकी सभी लड़कियों की … Read more

वृद्धाश्रम – सीमा बी.

New Project 45

बहुत दिनो बाद पापा से मिलने “आखिरी पड़ाव” वृद्धाश्रम आयी हूँ। पापा पिछले तीन सालों से देहरादून के इस प्रकृति की गोद में बने आश्रम में रह रहे हैं। माँ को हमने 3 साल 2 महीने पहले ही खो है। मैं और मेरा बड़ा भाई माँ के जाने के बाद एक मिनट को भी अकेला … Read more

सच्चा गोल्ड-मैडल – तरन्नुम तन्हा

New Project 46

बहुत साधन सम्पन्न घर में विवाह हुआ था मेरा। परिवार के सभी सदस्यों का प्रेम और सहयोग मिलने के कारण मैंने खुद को बेहद भाग्यशाली माना। और ईश्वर की कृपा से वास्तव में मैं सदैव भाग्यशाली रही भी हूँ। माता-पिता के घर में खुशहाली थी, और ससुराल में भी मिली। शुरुआती मौजमस्ती, घूमने-फिरने और नये … Read more

खामोश सा अहसास –  नीलम सिंघल

New Project 47

आस्था घर के बाहर बगीचे की सीढ़ियों पर बैठी थी, काले बादलों की अठखेलियाँ देखकर उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी, कितना अच्छा लगता था उसको कभी काले बादलों का घुमड़ घुमड़ कर आना, जिंदगी की आपाधापी में वो इन काले बादलों को भूल गयी हवा की सनसनाहट को तो कबसे महसूस ही नहीं हुई … Read more

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