खुशी की चाह – गरिमा जैन

जब भी राधिका की बात अपनी सहेली मालती से होती तो उसका दिल मचल मचल उठता। मालती कितनी खुश थी। ना जाने किन चक्र में पड़कर राधिका ने शहर में शादी कर ली। बचपन से तो उसका सपना यही था कि वह गांव में रहे। क्यों उसने इतनी बड़ी गलती की?  उसकी सहेली मालती कितनी … Read more

परी की वापिसी – रीटा मक्कड़

परी की वापिसी – रीटा मक्कड़ शादी के बाद पहली बार जब वो माँ बनने वाली थी तो उसके पति और उसका दोनो का ही मन था कि उनके घर एक प्यारी सी बेटी हो। लेकिन भगवान ने उनको  प्यारा सा बेटा दिया।पहली संतान थी वो भी बेटा। तो सभी परिवार वाले बहुत खुश हुए … Read more

जश्न_CompetingOneself – Dr Ashokalra

आपको ये किस्सा सुना रहा है, मेरा एक किरदार— आकाशगंगा! आज मेरे पापा का जन्मदिवस है, और मैं, आकाशगंगा, अपने पति के साथ जश्न मनाने आई हूँ। मैंने बैंक से हाफ-डे लीव ली है, अपने पति, आकाश, को भी बोला था हाफ-डे में ही घर आने के लिए। कारण उन्हें नहीं बताया था, बस बाद … Read more

मां का प्यार – ऋतु गर्ग

घर में सबसे छोटी चुलबुली रीता को मां का गुस्सा करना एकदम भी अच्छा नहीं लगता था। छोटी-छोटी बात पर टोकना और साफ सफाई का ध्यान रखना मां के व्यवहार में शामिल था।  रीता की मां अनपढ़ थी लेकिन समझदार काफी थी हिसाब किताब तो जैसे उंगलियों पर ही आता था। हमेशा अपने व्यवहार से … Read more

माँ से माँ तक – गोविन्द गुप्ता

आसमान में तारे गिनती सुकन्या ईश्वर से कह रही थी कि मेरे किस जन्म की सजा आपने मुझे दी कि मुझे शादी के 10 वर्ष बाद भी कोई औलाद नही दी,और बस 2 बूंद आंसू छलके जमीन पर गई पड़े , यही क्रम विवाह के एक वर्ष बाद से हर रात चल रहा था,डॉक्टरों का … Read more

गहने या सम्मान – विनिता मोहता

“ये कैसे गहने चडाए है तुम्हारे ससुराल वालों ने गहने कोई वजन ही नही है एकदम हल्के |” कहते हुए प्रीया की ताईजी ने उसके ससुराल से आया हुआ सोने का सेट साइड़ मे रखते हुए कहा| “अरे दीदी सोने का भाव पता है, क्या है ?ना हर किसी के बस की नही है की … Read more

पेंशन पार्ट 2 – अरुण कुमार अविनाश

ओल्ड ऐज होम!    सुमित्रा देवी विचारों के भंवर में डूब-उबर ही रही थी कि डोर बेल बजी – उठ कर उन्होंने दरवाज़ा खोला – निवेदिता थी। अगले एक घँटे में निवेदिता जल्दी-जल्दी तैयार हुई और स्कूल जाने के लिये घर से बाहर निकल गयी। इस समय सुबह के 09:15 हो रहें थे – निवेदिता … Read more

पेंशन पार्ट 1 – अरुण कुमार अविनाश

” माँजी , मैं सरला के यहाँ से पाँच मिनट में आ रही हूँ – आप डॉली को खाना खिला दीजियेगा।” – निवेदिता ने कहा और सास की सहमति या असहमति सुने बिना मेन गेट खोल कर फ्लैट से बाहर निकल गयी। डोर क्लोज़र की मदद से ऑटोमेटिक दरवाज़ा स्वतः बंद हो गया था। सरला … Read more

मदर्स डे-अमित भिमटे

राजीव अपने कमरे में कुछ सोचते हुए चहलकदमी कर रहा था, उसके चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी। पास ही बैठी उसकी मां ने उससे पूछा “क्या हुआ बेटा कोई समस्या है क्या…? “।      “मां कल मदर्स डे है, आप तो जानती हो रिया और सिया दोनो हर साल मदर्स डे कितने अच्छे से … Read more

नई सुबह नई राह -अंशु श्री सक्सेना

महक को आज की रात कितनी लम्बी लग रही थी। नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी । वह यही सोच रही थी कि पुनीत से विवाह कर के उसने कितनी बड़ी ग़लती की है । उसने करवट ले कर पलंग के दूसरे कोने में सो रहे पुनीत को देखा ।वह सोचने लगी , उसके … Read more

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